शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के सिरसी (जनपद सम्भल ) निवासी साहित्यकार कमाल जैदी वफ़ा की कहानी ------------अपना मौहल्ला


हर हर महादेव, जय बजरंग बली, नारये तकबीर, अल्लाह हो अकबर.चारो ओर से  अचानक रात में आई आवाज़ो से  बुजुर्ग रागिब मियां और उनकी बीवी  जमीला बानो घबराकर उठ बैठे मकान के नीचे के पोर्शन में रह रहे मकान मालिक राजेन्द्र बाबू ने उन्हें बताया कि -'शहर में दंगा हो गया है सब एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए है इंसानियत नाम की कोई चीज़ नही रह गई है लेकिन आप लोग बिल्कुल परेशान न हो हमारा घर बिल्कुल सेफ है हमारे पड़ोस में कोई शरारती नही है सभी अच्छे लोग है ।' राजेन्द्र बाबू अपने किरायेदार रागिब मियां और उनकी बीवी को तसल्ली देते हुए बोले -'हमारा मौहल्ला बहुत अच्छा है यहां सभी पढ़े लिखे समझदार लोग रहते है .हर चुनाव से पहले शहर में कुछ न कुछ होता है चाहे धर्म को लेकर हो या जाति को लेकर लेकिन उनके मौहल्ले में शांति रहती है।' 

'लेकिन मुझे तो बहुत डर लग रहा है ।, रागिब मियां की अहलिया   डर से कांपते हुए बोली रागिब मियां ने भी अहलिया जमीला बानो को तसल्ली देते हुए कहा- 'डर की क्या बात है राजेन्द्र बाबू है तो'

रागिब मियां और जमीला बानो कमरे की बालकनी से अंदर कमरे में आ गये लेकिन थोड़ी ही देर में उनके मोबाइल पर रिश्तेदारों के फोन आने लगे हरेक से फोन पर बात करने के बाद दोनों और अधिक डर जाते सभी रिश्तेदार उन्हें सलाह दे रहे थे की इस मौहल्ले से निकल कर मुसलमानों के मौहल्ले में पहुँच जायें  कुछेक ने उन्हें मौहल्ले सुझाते हुए कई नाम भी बताए कि उनके घर चले जायें उनका मकान खाली भी है दोनों ने डरते - डरते किसी तरह रात काटी सुबह हुई तो उन्होंने राजेन्द्र बाबू से मुस्लिम मौहल्ले में जाने की इच्छा जताई राजेन्द्र बाबू ने उन्हें बहुत समझाया कि उन्हें यहां कोई खतरा नही है वह उनकी पूरी रक्षा करेंगे उनके जीते जी कोई उनकी तरफ आंख उठाकर भी नही देख सकता लेकिन जमीला बानो की ज़िद के आगे रागिब मियां भी मजबूर हो गये राजेन्द्र बाबू ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए बोझल मन से एक सिपाही के द्वारा दोनों को उनके बताये हुए पते पर मुस्लिम मोहल्ले में पहुँचा दिया।   घर अकेला था मकान मालिक बराबर के मकान में रहते थे और उनके बच्चे अरब में नौकरी कर रहे थे मुस्लिम मोहल्ले में पहुचकर जमीला बानो ने चैन की सांस ली बोली- 'अब अपने मौहल्ले में आ गये।' लेकिन रागिब मियां को कुछ अच्छा नही लग रहा था। रात हुई तो नारो की आवाज़ें यहां भी सुनाई दीं जिससे  दोनों का चैन सुकून गायब हो गया  सुबह को शहर के हालात और खराब हो गये प्रशासन को हालात पर काबू पाने के लिये अनिश्चित कालीन कर्फ्यू की घोषणा करनी पड़ी रागिब मियां और जमीला बानो के पास दवाईयां खत्म हो गईं उनका राशन लाने वाला भी यहां कोई नही था क्योंकि मौहल्ले में किसी को नही पता था कि इस घर मे कोई रह रहा है यह घर कई महीने से खाली पड़ा था इस मकान के मालिक का मिजाज़ भी अलग तरह का था वो किरायेदार से किराया वसूलने के अलावा कोई मतलब नही रखते थे उनका सोचना था कि किरायेदारों से ज्यादा घुलने मिलने से किराया वसूली में देर होती है लोग अपनी मजबूरियां बताकर कई कई महीने किराया रोक लेते हैं जिसकी वजह से वह किरायेदारों से कोई वास्ता नही रखते थे राशन खत्म होने और दवाओं के अभाव में रागिब मियां और जमीला बानो की हालत बिगड़ गई दो एक रिश्तेदारों को उन्होंने फोन किया तो उन्होनें कर्फ्यू लगे होने की बात कहते हुए मजबूरी ज़ाहिर कर दी  जमीला बानो ने भूख और दवा न मिलने से पलंग पकड़ लिया रागिब मियां से भी भूख के कारण चला फिरा नही जाता था लरज़ते हाथों से उन्होंने राजेन्द्र बाबू का नम्बर लगाया और  कांपती लरज़ती आवाज से रोते हुए बोले -'रा जे न्द्र बा बू ह में म ऑफ क र ना ह म ने य हा आ कर ग ल ती की हमारे पास यहां  न दवाएं हैं न रा श न हम कई दिन से भूखे है.'इतना कहते ही मोबाइल उनके हाथ से छूटकर ज़मीन पर गिर पड़ा और मोबाइल के साथ दो दिन से भूखे रागिब मियां भी बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े रागिब मियां का फोन सुनते ही राजेन्द्र बाबू बेचैन हो गये उन्होंने सारी बात पत्नी सरिता को बताई तो वह भी दुखी हो गई राजेन्द्र बाबू  रागिब मिया के पास जाने की बात कहने लगे तो पत्नी सरिता ने  कहा -'कर्फ्यू के बीच वह उन्हें मुस्लिम मौहल्ले में नही जाने देगी।'लेकिन राजेन्द्र बाबू रागिब मियां के फोन के बाद से बेचैन थे आखिर अमेरिका में रह रहे रागिब मियां के बेटे नावेद ने बड़े भरोसे के साथ यह कहते हुए अपने माँ बाप को राजेन्द्र बाबू के मकान में छोड़ा था कि अंकल  आपसे अच्छा मकान मालिक मेरे माँ बाप को कोई दूसरा नही मिल सकता मैं दो एक साल में ही आकर अपने माँ बाप को साथ ले जाऊंगा नावेद और राजेंद्र बाबू का बेटा नवीन साथ साथ पढ़ते थे दोनों का एक दूसरे के घर आना जाना था अब दोनों साथ ही अमेरिका में जॉब कर रहे थे राजेन्द्र बाबू परेशान से कमरे में इधर उधर टहल रहे थे उनकी कुछ समझ मे नही आ रहा था पत्नी उन्हें जाने नही दे रही थी और रागिब मियां का फोन सुनकर वह बेहद परेशान थे आखिरकार उन्होंने फिर अपने रसूख का इस्तेमाल किया और पुलिस की गाड़ी से रागिब मियां के घर जा पहुचे देखा तो उनकी आंखों से आंसू बह निकले रागिब मियां जमीन पर और जमीला बानो पलंग पर पड़ी थी साथ आये थानेदार ने दोनों की नब्ज देखी तो सो सेड कहते हुए अफसोस ज़ाहिर किया अगले दिन अख़बारो के फ्रंट पेज पर बुजुर्ग दम्पत्ति के भूख से मरने की खबर सुर्खियां बनी हुई थी और राजेंद्र बाबू माथे पर हाथ रखे बुदबुदा रहे थे काश रागिब मियां ने जमीला बानो की बात न मानी होती।

✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा', सिरसी (सम्भल)

मोबाइल फोन 9456031926

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