रविवार, 22 नवंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार गगन भारती की नज़्म ---आज कुछ भी नहीं । यह नज़्म उन्होंने सितंबर 1980 में उस समय लिखी थी जब मुरादाबाद दंगे की आग में जल रहा था ।


 

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह, गगन भारती जी को पढ़कर मुरादाबाद की शायरी और ज‍िगर मुरादाबादी की नज्में याद आ गईं...आभार भारती जी को सुनवाने और फ‍िर से उनकी शायरी से पर‍िचय करवाने के ल‍िए आभार डा. मनोज जी

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