बुधवार, 18 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की लघुकथा ----कोई खास बात तो कही नहीं

     


रश्मि ने दादाजी के कमरे से बाहर आकर घबराहट भरे स्वर में सभी घरवालों को बताया कि दादा जी ने सबको अपने कमरे में बुलाया है । सुनकर सब सोच में पड़ गए कि आखिर दादा जी क्या कहना चाहते हैं ? अभी थोड़ी देर पहले जब रश्मि दादा जी को चाय देने गई थी तब उससे यह बात उन्होंने कही थी।

         दादाजी की आयु लगभग 75 वर्ष हो गई है । परिवार में उनके तीन बेटे और तीन बहुएँ हैं । पोते - पोतियाँ हैं। रमेश ने सन्नाटे को तोड़ा और कहा " हो सकता है ,दादा जी वसीयत बना रहे हो और हम सबको सूचित करने के लिए बुलाया हो ?"

           सुनते ही विमल की पत्नी विनीता भड़क गई ।"यह भी कोई समय है वसीयत बनाने का ? कल ही तो चाय देने में मुझे देरी हो गई थी और दादा जी नाराज हो गए थे।  लेकिन इसका मतलब यह थोड़ी है कि वह वसीयत बना दें!"

        आनन्द ने इस पर सबको शांत किया और कहा " हो सकता है ,मकान बेचने की बात कर रहे हों। क्योंकि हम लोग सिविल- लाइन शिफ्ट होना चाहते थे तथा दादाजी ही इस पर आपत्ति करते रहे थे।"

       रश्मि का कहना कुछ अलग था ।  उसने कहा " मेरे ख्याल से दादाजी घर के खर्चों   के बारे में चिंतित हैं । हमारे खर्चे ज्यादा हैं। बैंक से लोन बहुत ज्यादा है और उनको चुका भी हम नहीं पा रहे हैं। ऐसे में हो सकता है ,कार बेचने की बात या अम्मा जी के पुराने जेवर बेचने की बात दादाजी करना चाहते हों ! बुलाया किसी भी कारण से क्यों ना हो , लेकिन अब चलकर दादाजी की बात तो सुननी ही होगी ।"

          सब डरे - सहमे हुए और मन में अनेक आशंकाएँ लिए हुए दादा जी के कमरे में दाखिल हुए । दादाजी कुर्सी पर बैठे हुए थे। सब को देखते ही उन्होंने कहा "थोड़ा दूर- दूर बैठो ।"

        सब लोग दूर-दूर बैठ गए । दादा जी ने कहा "मैं कई दिनों से एक बात नोट कर रहा हूँ  कि तुम लोग घर से बाहर निकलते समय मास्क नहीं लगा रहे हो। इतना ही नहीं मुझे यह भी सुनने में आया है कि तुम भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी अब जाने लगे हो । लौटकर आ के  साबुन से हाथ भी नहीं धो रहे हो ?"

      विमला ने बीच में ही टोक कर कहा "दादा जी ! मैं तो कहीं भी आती - जाती नहीं हूँ । "

     इस पर दादाजी थोड़ा क्रोधित हुए और बोले " मैं किसी की सफाई माँगने के लिए आज मौजूद नहीं हूँ। न मैं कोई आदेश तुम लोगों को दे रहा हूँ। मैं तो केवल एक पिता के नाते तुम को सलाह दे रहा हूँ कि अपनी भी भलाई का काम करो, मेरी भी भलाई का काम करो और जिसमें घर के छोटे- छोटे बच्चों की भी भलाई निहित है ,वही आचरण करो । जब भी घर से निकलो तो मास्क पहनो , भीड़ वाले इलाकों में मत जाओ , जिन लोगों से मिलो उनसे 2 गज की दूरी रखो और जरूरी काम से बाजार जाना पड़े घर से बाहर निकलना पड़े, यह तो जरूरी है लेकिन जब भी लौट कर आओ तो साबुन से हाथ जरूर धोओ । साफ - सफाई का जितना ध्यान रखोगे ,उतना ही बीमारी से  बचे रहोगे और स्वस्थ रहोगे । अब तुम लोग जा सकते हो ।"

       सुनकर सब लोग एक - एक करके दादा जी के कमरे से बाहर चले गए और बाहर जाकर सब की फुसफुसाहट सुनने में आई " कोई खास बात तो कही नहीं ,जिसके लिए दादा जी ने हम सब को बुलाया हो ? "

               उसी समय टेलीफोन की घंटी बजी और रमेश ने फोन उठाया ।फोन पर बात करते-करते उसने धीमे से यह शब्द कहे " क्या मौसा जी की मृत्यु कोरोना से हो गई ???"

        सुनते ही सबको साँप सूँघ गया। मौसा जी का  स्वास्थ्य उनकी उम्र के हिसाब से अच्छा था। लेकिन यह सुनने में आ रहा था कि वह और उनके बच्चे बहुत लापरवाही बरत रहे थे।

 ✍️ रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)

मोबाइल 99976 15451

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