"नील जी क्यों न साहित्यिक संध्या का आयोजन करा लिया जाए ...शाम भी रंगीन हो जाएगी और नाम भी हो जाएगा ....रही बात लेखकों की तो वे तो दौड़े चले आएंगे ।" श्रीप्रकाश जी ने नील जी से कहा।
"अजी हाँ ...नेकी और पूछ पूछ ...आज ही इंतजाम कराते हैं जनाब ...बताइए लिस्ट में कौन कौन से साहित्यकारों को बुलाया जाए ?"नील जी ने पान चबाते हुए कहा ।
"हाँ ...पिछले मुशायरे में गए थे न ...वहाँ जितनी भी महिला साहित्यकार आईं थीं सभी के नाम नोट कर लीजिए जनाब ...और हाँ वो नीली साड़ी पहने जो मोहतरमा थीं उनका ज़रूर ...क्या गजब ढा रहींथींl"श्रीप्रकाश जी ने चटकारे लेते हुए कहा l
"कौन सी कविता बोली थी उन्होने ?"
"अजी छोड़िए कविता बबिता ...हमें क्या करना । "श्रीप्रकाश जी ने बेशर्मी से कहा और दोनोंं ठहाका मारकर जोर से हंसते हुए एक और शाम की रंगीनियत के ख्वाबों में खो गए l
✍️ राशि सिंह , मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
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