दोस्त का पत्र जब से आया है
प्यार का फूल खिलखिलाया है
कोई बचपन की याद ही होगी
जिसने उसको बहुत हँसाया है
खूब उसने मुझे कुरेदा पर
राज़ दिल का न जान पाया है
माँ की ममता कि भूखे बच्चे को
जल भी अब दूध कह पिलाया है
चुपके चुपके से रो रहा है वह
कौन सा गीत तुमने गाया है
लौट आओ प्रिये कहाँ हो तुम
बिन तुम्हारे न अपना साया है
है 'प्रणय' का ही तो करिश्मा ये
हर कली पर जो नूर छाया है
✍️ लव कुमार 'प्रणय'
के-17, ज्ञान सरोवर कॉलोनी, अलीगढ़ .
चलभाष - 09690042900
ईमेल - l.k.agrawal10@ gmail .Com
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