गुरुवार, 19 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार मनोरमा शर्मा की लघुकथा ----- - 'अपेक्षा '

 


मिस्टर ओम के दो स्कूल कॉलिज चल रहें हैं और एक डिग्री कॉलिज । दोनों कॉलिज सफलता पूर्वक शत प्रतिशत अपना रिजल्ट दे रहें हैं ।समाज में बड़ा नाम है ।कई राजनैतिक संगठनों से भी जुड़े हुए हैं कुल मिलाकर समाज में नारी शिक्षा के उदार पक्षधर होने के नाते नारी की सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए कई संगठनों को आर्थिक सहायता देने भी कभी पीछे नही हटते ।घर में उच्च शिक्षा प्राप्त पत्नी है ।पत्नी के नाम मिस्टर ओम ने बहुत जायदाद कर रखी है ।वह बड़ी निर्भीक और हंसमुख , बड़ी मनमौजी स्वभाव की है और एक पुत्री है ।पति -पत्नी दोनों का ही सारा ध्यान अपनी बेटी सारा पर ही रहता है। उनका बस चले तो वह अपनी बेटी को आज ही बड़ी एम.बी बी . एस डाक्टर की उपाधि दिलवा दें ।नीट की दूसरी बार परीक्षा दी है लेकिन वह क्वालिफाई कर पायेगी अथवा नही ,उसे स्वयं विश्वास नही हो पा रहा था । लेकिन मिस्टर ओम दिल और दिमाग से किसी भी तरह चाहते थे कि वह कम से कम क्वालिफाई तो कर ही ले जिससे वह उसका दाखिला बड़े से बड़े मेडिकल काॅलिज में करवा सकें आखिर वह किसके लिए कमा रहे हैं अगर वह अपनी बच्ची को ही प्रतिष्ठित और सबसे मंहगा मुकाम न दिलवा सके तो ।समाज में उनके नाम की धज्जी उड़ जायेगी कि वह अपनी बेटी को ही कुछ न बना सके ।उनका रात दिन का चैन उड़ गया ,ईश्वर से बहुत प्रार्थनाएं कीं ।न खाने को दिल चाहता था न कुछ पीने को ।यह सब देखकर सारा सहम गई थी ।उसका खून मानो सूखता जा रहा था वह अपने पापा को जानती थी कि वह जो भी चाहते थे उसे पूरा करने में एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं चाहे कुछ हो जाये ।नही तो वह जाने क्या क्या कर सकते थे ।मम्मी को ताने मारना ,भला बुरा कहना ।तुम कुछ नही कर सकतीं ।अपनी बेटी पर ही तुमसे ध्यान नही दिया गया और क्या करोगी ? कौन सी सुविधा देने में मुझसे कमी हुई ।वह कुछ कह ही नही पा रही थी ।टेंशन में उसकी शुगर बढ़ने लगी ।बस सारा को एहसास भी नही होने देना चाहती थी ।जैसे ही मिस्टर ओम घर में घुसते ,आतंक सा छाने लगता।सारा और उसकी मम्मी विनीता का दम हर समय घुट रहा था ।सारा चुपके -चुपके रोती रहती लेकिन भयवश वह अपने पापा मम्मी से कुछ कह नही पा रही थी लेकिन बहुत सारे सवालों का बबंडर उसके दिमाग में था ।

✍️ मनोरमा शर्मा , अमरोहा 

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