बुधवार, 18 नवंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा -----हार्न

 


सडक़ पर जाती लड़कियों के समूह पर फब्तियों की बौछार करनेवाले कुछ मजनुओं की मंडली को तितर -बितर करने के लिए राहुल ने फुल आवाज में बिना आवश्यकता के हार्न बजाया । सुरक्षा को महसूस करती वे सब आगे बढ़ गयीं ।उनकी मंद मुस्कान में मुझे अपनी  बेटी का चेहरा दिखने लगा ।

✍️डॉ प्रीति हुँकार, मुरादाबाद

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