सोमवार, 23 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद (जनपद बिजनौर ) निवासी साहित्यकार इंद्रदेव भारती का गीत ----गुनगुनी धूप अब मन को भाने लगी


ओ री मन-मोहिनी !

क्यों  सताने  लगी ।

देर से आ,क्यूं जल्दी

तू    जाने     लगी ।।

धूप   सी,  रूपसी !

ये   तेरे   रुप   की ।

गुनगुनी   धूप   अब

मन को भाने लगी ।।

काहे   जाने  लगी  ?

काहे   जाने  लगी  ??


बाहर    शीतल   मेरे ।

भीतर   दहकन   मेरे ।

शीत रुत भी तो अंग-

अंग    जलाये    मेरे ।।

जो भी  होता है,  हो ।

जग  कहे  तो,  कहो ।

मै    तेरा     हो    रहूँ,

तू   मेरी    हो    रहो ।।

बात  जाने  की   कर,

कर न  ये   दिल्लगी ।

गुननगुनी  धूप   अब

मन  को  भाने  लगी ।।

काहे   जाने   लगी ?

काहे   जाने   लगी ??


हाला  से   तू   बनी ।

तुझ से  हाला  बनी ।

सर से  पाँ  तक तुही

मधुशाला.......बनी ।।

मुझको  पीने तो  दे ।

रूह  बहकने तो  दे ।

रूप   के   कुंड   में,

गिर  संभलने तो  दे ।।

अभी  पी  भी  नहीं,

और तू  जाने  लगी ।

गुनगुनी   धूप  अब

मन को  भाने  लगी ।।

काहे   जाने   लगी ?

काहे   जाने   लगी ??


तुझको मै पा तो लूँ ।

होश  में  आ  तो लूँ ।

दिल संभल जाएगा,

तुझको मैं गा तो लूँ ।।

रात    जाने  भी  दे ।

सुबह  आने  भी  दे ।

लिक्खा तुझपे है जो,

गीत   गाने  वो   दे ।।

ये  पिपासा  अजब,

ग़ज़ब    की   जगी ।

गुनगुनी   धूप   अब

मन को  भाने लगी ।।

काहे  जाने  लगी ? 

काहे  जाने  लगी ?

✍️ इन्द्रदेव भारती

 ए / 3 - आदर्श  नगर, नजीबाबाद - 246 763

   ( बिजनौर )  उत्तर  प्रदेश

मोबाइल फोन नम्बर 99 27 40 11 11

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