रविवार, 1 नवंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ल की रचना -----गरीबी की रेखा-


एक बार अकबर ने बीरबल से चुहुल की।

एक कागज पर एक रेखा खींच दी।

बोले: बीरबल, तुम बड़ी बड़ी बुद्धिमत्ता की बात करते हो।

बहुत चतुर होने का दम्भ भरते हो।

जरा इधर आओ।

बगैर छुए ही इस रेखा को बड़ी करके दिखाओ।

अब तो पूरे दरबार में शांति छा गयी।

विरोधी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गयी।

आज तो बीरबल को हार माननी पड़ेगी।

सारी चतुराई धरी रहेगी।

लेकिन बीरबल तो बीरबल ही थे।

बुद्धि के मामले में वाकई धनी थे।

तुरन्त उस रेखा के पास एक छोटी रेखा खींच दी।

लीजिए हुजूर,  आपकी ही रेखा बड़ी की।

काश, बीरबल आज भी जीवित होते।

हमारी सरकार के बहुत काम आते।

कुछ ऐसा ही कौतुक दिखाते।

और सबको गरीबी की रेखा से ऊपर उठाते।

✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल, 

MMIG - 69, रामगंगा विहार, मुरादाबाद ।

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