हमारे देश का
हर दूसरा व्यक्ति
हाथ में कटोरा लिए खड़ा है
किसी का कटोरा छोटा
किसी का बड़ा है
किसी का कटोरा मिट्टी
किसी का लोहे का है
किसी के पास चांदी
किसी के पास सोने का है
सबका अपना अलग कटोरा है
किसी किसी के पास
पूरा बोरा है
कटोरो का आकार और प्रकार
तय करता है
भीख की मात्रा का आधार
कुछ लोग होते है अत्यधिक गरीब
उनको कटोरा तक,नहीं हो पाता नसीब
वो भीख मांगने के लिए
अपने दोनों हाथ फैलाते हैं
उनमें जितना आता है
उससे ही काम चलाते हैं
कुछ फुटपाथ पर
बैठ कर भीख मांगते हैं
कुछ वातानुकूलित ऑफिस में
ऐंठ कर भीख मांगते हैं
भीख से हमारे देश का
बहुत पुराना नाता है
आधुनिक युग में भीख को
अलग अलग नामों से जाना जाता है
शादी के समय
लड़के का परिवार
लड़की के परिवार से
जो कुछ भी मांगता है
इस भीख पर समाज
दहेज़ का लेबल टांगता है
सरकारी विभागों में
सब काम विधिवत किया जाता है
अलग अलग कार्यों के लिए
अलग अलग धन लिया जाता है
इस भीख को रिश्वत कहा जाता है
इन विभागों में
एक और तरह की भीख चलती है
ये बॉस को अपने अधीनस्थों से
पारिवारिक आयोजनों में
उपहार के रूप में मिलती है
कुछ प्रशासनिक अधिकारी
बेटियो को लकी मानते है
किसी वजनदार जगह
नियुक्ति मिलते ही
उनकी शादी कर डालते है
बेटी को आशीर्वाद के नाम पर
ठेकेदारों और दलालों से
इतनी भीख मिल जाती है
बाकी बेटियो की शादी
निपटाने के बाद भी बच जाती है
नेता भी चुनाव के समय
पब्लिक से भीख मांगते रहते हैं
इस राजनीतिक भीख को,
वोट कहते हैं
आजकल इस लिस्ट में
एक नई भीख का नाम जुड़ा है
जिस पर फाइव स्टार भीख का
लेबल लगा है
इसमें बैंकों से
मोटा कर्ज लिया जाता है
और उसको
वापस नहीं किया जाता है
विकास की कहानी
इस भीख के बिना अधूरी है
लेकिन इसे पाने के लिए
बडे़ राजनेताओं से
घनिष्ठता जरूरी है
भीख के लेन देन ने
पूरी रामायण रच डाली है
उन सबको कभी ना कभी
भीख मांगनी पड़ती है
जिनकी निगाह में
किसी दूसरे की थाली है
भीख मांगना हमारा
जन्मसिद्ध अधिकार है
भीख मांगने की प्रवृत्ति
ईश्वर का हम पर
बहुत बड़ा उपकार है
मैं भी आपसे अलग नहीं हूं
मुझे आपसे,ना कोई सलाह
ना कोई सीख चाहिए
केवल प्रशंसा की
थोड़ी सी भीख चाहिए।
✍️ डॉ पुनीत कुमार
टी 2/505 आकाश रेजीडेंसी, मधुबनी पार्क के पीछे, मुरादाबाद 244001
M 9837189600
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