मंगलवार, 24 नवंबर 2020

वाट्सएप पर संचालित समूह "साहित्यिक मुरादाबाद" में प्रत्येक मंगलवार को बाल साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। मंगलवार 20 अक्टूबर 2020 को आयोजित बाल साहित्य गोष्ठी में शामिल साहित्यकारों अशोक विद्रोही, प्रीति चौधरी, डॉ पुनीत कुमार, रामकिशोर वर्मा, विवेक आहूजा, कमाल जैदी वफा, मीनाक्षी ठाकुर, राजीव प्रखर, धर्मेंद्र सिंह राजोरा, डॉ शोभना कौशिक, दीपक गोस्वामी चिराग, श्री कृष्ण शुक्ल और शिव अवतार रस्तोगी सरस की बाल रचनाएं------


देखो एक मदारी आया ,

बंदर और बंदरिया लाया ।
   तरह तरह के खेल दिखाता ,
   गाता और डुगडुगी बजाता।।
   बजी डुगडुगी आए बच्चे ,
   लोग यहां के सीधे सच्चे।
सबने मिलकर शोर मचाया ।
देखो एक मदारी आया।।
   रामू, हैदर, डेविड आओ!
   मीरा सलमा को बुलवाओ!
   लगी भीड़ सब ताक रहे हैं,
   कुछ ऊपर से झांक रहे है।
सबका दिल इसने भरमाया।
देखो एक मदारी आया।।
     बंदर को कहते हैं गोपी,
     पहनी पैंट शर्ट और टोपी।
     घघरी चोली पहन बंदरिया,
     सजी हुई है बनी दुल्हनिया।
रूप निराला सब को भाया,
देखो एक मदारी आया।।
     ससुरे के संग मैं न जाऊं,
     जेठा संग हरगिज़ न आऊं।
     सास ननद से भी न मानूं,
     गोपी संग दौड़ी चली आऊं।।
आखिर गोपी को बुलवाया।
देखो एक मदारी आया।।
     ठुमक ठुमक कर नाच रही है.
     आयी चिट्ठी बांच रही है।
     रह रह देखे फिर फिर दर्पन
     छूट रहा बाबुल का आंगन।
विदा कराने गोपी आया।
देखो एक मदारी आया।।
      मंत्र मुग्ध सबको कर देता,
      ज़्यों चुनाव में करते नेता।
      भीड़ इकट्ठी कर लेता है,
      सबको बस में कर लेता है।
खेल गज़ब सबको दिखलाया। 
देखो एक मदारी आया।।
        
✍️अशोक विद्रोही, 412 प्रकाश नगर ,
मुरादाबाद, मोबाइल फोन 82 188 25 541
-------------------------------------



  पापा गुडिया आपको  , करे बहुत ही  याद ।
  जग सूना लगता मुझे , एक आपके  बाद।।
  एक आपके बाद,  हुई मैं आज अकेली ।
  उलझाती हैं रोज़, ज़िंदगी हुई पहेली।
  सबल वृक्ष की छाँव, गया कब उसको मापा ।
  वह मजबूती-साथ ,कहाँ से लाऊँ, पापा !!

✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
---------------------------------------------



सर्दी में भी लाए पसीना
मुश्किल कर देता है जीना
गर्मी में कंपकपी छुटाता
सबका इसने चैन है छीना

इम्तिहान का ये मौसम है
कोई ना इसका निश्चित क्रम है
जब मर्जी हो,तब आ जाता
करता सबकी नाक में दम है

जो बच्चे प्रतिदिन पढ़ते हैं
नियमित खेला भी करते हैं
उनको फर्क ना पड़ता कोई
वे इम्तिहान से नहीं डरते हैं

✍️ डॉ पुनीत कुमार
टी 2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
-----------------------------------



मम्मी-दादी पूजा करतीं
नित्य मात से अर्चन करतीं ।
'राम' दिया है तुमने माता
देना उसको भी इक भ्राता ।
काज संँवारे तुमने देवी
लाज हाथ फिर तेरे देवी ।
नवरात्री के व्रत जब आये ‌
मम्मी से उपवास रखाये ।
अष्टमी को कन्या जिमायीं
बेटा हो इच्छा बतलायीं ‌।
'राम' नित्य सब देख रहा था
मन-ही-मन वह सोच रहा था ।
मांँ मुझको इक बहिना देना
राखी का सुख मुझको लेना ।
मम्मी के मन में भी आता
बेटी से चलता जग नाता ।
देवी ने मन की सुन लीनी
नवमी को लक्ष्मी इक दीनी ।
राम की मम्मी खुश अधिक थी
पापा को चिन्ता न तनिक थी ।
दादी बोलीं -- देवी इच्छा
मानव की वह लेंय परीक्षा ।
देवी ही मेरे घर आयीं
सही मार्ग लगता दिखलायीं ।
जब जग में कन्या कम होगी
जीवन में अधिक व्याधि होगी ।
लड़का-लड़की सभी जरूरी
इच्छाऐं होंगी तब पूरी ।
जय माता की सारे बोलो
राम नाम लो; कभी न डोलो ।
 
✍️राम किशोर वर्मा, रामपुर
–----------------------------------------


बचपन के दिन याद है मुझको ,
याद नहीं अब , कुछ भी तुझको ।
तेरा मेरा वो स्कूल को जाना ,
इंटरवल में टिक्की खाना ,
भूल गया है ,सब कुछ तुझको ।
कैसे तुझको याद दिलाऊ ,
स्कूल में जाकर तुझे दिखाऊ ,
याद आ जाए ,शायद तुझको ।
                  
भूला नहीं हूं सब याद है मुझको ,
मैं तो यूं ही ,परख रहा तुझको ।
तेरा मेरा  वो याराना ,
स्कूल को जाना पतंग उड़ाना ,
कैसे भूल सकता हूं , मैं तुझको ।
याद है तेरी सारी यादें ,
बचपन के वो कसमें वादे ,
आज मुझे कुछ , बताना है तुझको ।
"तू सबसे प्यारा है मुझको"

✍️विवेक आहूजा , बिलारी , जिला मुरादाबाद
मो 9410416986
Vivekahuja288@gmail.com
-----------------------------------------



बच्चो ने अखबार निकाला,
सबको हैरत में कर डाला।
अच्छी अच्छी खबरें छापी,
नहीं बनाया किसी को पापी।
मार धाड़ की खबर न छापी,
झूठी बातें नही अलापी।
गीत कहानी और पहेली,
दोस्त बना और बना सहेली।
अच्छी बातें सबकी मानी,
नही करी बिल्कुल मनमानी।
दूर दूर तक नाम हुआ,
सबके हित का काम हुआ।
बच्चो की आवाज़ उठाई,
कब तक घर पर करें पढ़ाई।
शासन तक बातें पहुँचायी,                                      तभी तो शाला भी खुल पाई।
बच्चो का अखबार है प्यारा,
सारे अखबारों से न्यारा।

✍️कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'                                          प्रधानाचार्य,अम्बेडकर हाई स्कूल
बरखेड़ा (मुरादाबाद)
सिरसी (सम्भल)9456031926
-------------––------------------------



एक बड़ा प्यारा सा बेटा
दो दिन से बिस्तर पर लेटा।

तीन तरह की दवा खिलाई,
लेकिन बात समझ न आयी ।

चार  डाक्टर बात बतायें
कुरकुरे चिप्स न इसे खिलायें

पंचो सुनो लगाकर कान
प्लास्टिक इनमें,कर लो ध्यान।

छह- छह इंजेक्शन लगवाये,
देख कलेजा मुँह को आये।

सात जन्म तक याद रहेगा,
क्रेक्स खाना भारी पड़ेगा।

आठवें दिन कुछ तबियत सँभली
कभी न आवे दुख की बदली।

नौवैं दिन कुछ मन हर्षाया,
बीमारी पर काबू पाया।

दसवें दिन फिर मना दशहरा
अब न खाना चिप्स कुरकरा ।।

✍️मीनाक्षी ठाकुर, मुरादाबाद
---------------------------------------



मम्मी-पापा झगड़ा छोड़ो,
अपना प्यारा सा संसार।

सुबह निकल जाते हो दोनों,
घर की खातिर दिन भर खपने।
साथ आपके जुड़े हुए हैं,
हम बच्चों के भी कुछ सपने।
आपस में यों चुप्पी रखना,
सुन लो बिल्कुल है बेकार।
मम्मी-पापा झगड़ा छोड़ो,
अपना प्यारा सा संसार।

दुनिया कहती हम हैं छोटे,
भला बड़ों को क्या समझायें।
उनके आपस के झगड़े में,
नहीं कभी भी टांग अड़ायें।
सुनो हमारी हम भी तो हैं,
इस नैया की ही पतवार।
मम्मी-पापा झगड़ा छोड़ो,
अपना प्यारा सा संसार।

करो आज यह वादा हमसे,
आगे से अब नहीं लड़ोगे।
और हमारे आहत मन की,
भाषा को भी सदा पढ़ोगे।
घर मुस्काये यही हमारे,
जन्म-दिवस का है उपहार।
मम्मी पापा झगड़ा छोड़ो,
अपना प्यारा सा संसार।

✍️ राजीव 'प्रखर', मुरादाबाद
--------------------------------------



बंदर राजा लगा के छतरी☔
आज अपनी ससुराल चले
होगी कैसी रानी बंदरिया
करके यही खयाल चले
जैसे सोहनी हो बंदरिया
बनकर वो महिवाल चले
सूट बूट डाले थे फिर भी
जेब से वो तंगहाल चले
आयेगी या ना 👰दुल्हनिया
मन में लिए सवाल चले

✍️धर्मेंद्र सिंह राजौरा बहजोई
-------------------------------------



बंदर वाला आया ।
बच्चों के मन भाया ।
दौड़े दौड़े बच्चे आये ।
साथ में केला चना भी लाये।
खाया और खिलाया खूब।
बंदर भी मन भाया खूब।
खौं -खौं -खौं-खौं करता जाये।
बच्चों का डर घटता जाये।
तक-धिन -तक धिन नाच दिखाये।
कभी घुँघट में छिप जाये।
इधर मटक कभी उधर मटक।
बच्चे भी करते नकल।
खुशियों से दामन भर भर के।
लौट गये बच्चे हँसते-हँसते।

✍️ डॉ शोभना कौशिक, मुरादाबाद
------------------------------------------



सुबह-सुबह आता अखबार ।
हर मन को भाता अखबार।

दादा जी का यही नाश्ता,
खबरों का दाता अखबार।

पढ़कर भी बेकार नहीं है,
काम बहुत आता अखबार।

जग का ज्ञान हमें यह देता,
बहुत बड़ा ज्ञाता अखबार।

मुझको ऐसा शहर बता दो,
जहाँ नहीं आता अखबार।

कभी नहीं छुट्टी यह लेता,
सातों दिन आता अखबार।

हत्या-लूट और रेप-डकैती,
अब बस दिखलाता अखबार।

✍️ दीपक गोस्वामी 'चिराग'
शिव बाबा सदन, कृष्णाकुंज, बहजोई
पिन-244410(संभल), उत्तर प्रदेश
मो. 9548812618
ईमेल- deepakchirag.goswami@gmail.com
---------------------------------------------



बच्चों जरा बताओ तो ये, बिजली कैसे बनती है।
छोटू बोला सर जी, ये तो आसमान में बनती है।
जब जब बारिश होती है बादल खूब गरजते हैं।
तब तब घोर गर्जना से बिजली बहुत तड़कती है।
बात तुम्हारी भी सच है, टीचर जी ने समझाया ।
किंतु आसमानी बिजली अपने काम न आती है ।।
पंखा नहीं चलाती है, लाइट नहीं जलाती है।
ये बिजली तो मानव को स्वयं बनानी पड़ती है।
बाँध बनाकर बड़े बड़े, पानी की ही ताकत से,
जब टर्बाइन घुमाते हैं, तब बिजली बन जाती है।
कभी कोयला जला जला, तापमान से बनती है
यही ऊर्जा अणु से पाकर, भी बिजली बन जाती है।
पवन शक्ति से बनती है तो सूरज से भी बनती है।
और हमारे घर के कचरे से भी बिजली बनती है।
छोटू बोला , बात समझ में सोलह आने आई।
शायद इसीलिए ये बिजली मुफ्त नहीं मिलती है।

✍️श्रीकृष्ण शुक्ल
MMIG 69, रामगंगा विहार, मुरादाबाद ।
मोबाइल नंबर 9456641400
-------------------------------------------


2 टिप्‍पणियां: