शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के सिरसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार कमाल जैदी वफ़ा की लघुकथा----- ठांय- ठांय

 


ठांय, की आवाज़ के साथ तमंचे से गोली बाहर निकली और एक बुजुर्ग की छाती में उतर गई। गोली चलाने वाले ने अपने साथी की ओर देखा और विजयी मुस्कान के साथ विक्ट्री का चिन्ह बनाकर खुशी का  इजहार किया। दूसरी गोली साथी की पिस्तौल से निकली और उसने एक नवयुवक को ढेर कर दिया. अब खुश होने की बारी साथी की थी उसने भी विक्ट्री का चिन्ह बनाकर अपने विजयी होने का एलान करते हुए खुशी प्रकट की शहर में दंगा फैला हुआ था. दोनों साथी मोर्चा सम्भाले हुए दूसरे धर्म के लोगो को निशाना बना रहे थे अब तक वह दर्जन भर लोगो को मौत के घाट उतार चुके थे। अचानक  नारे बाज़ी करती भीड़ उनके सामने आई. दोनों ने अपने अपने पिस्तौल लोड किये और भीड़ की ओर निशाना लगाया. 'अरे! नहीं वह बच्चा है।'साथी ने बच्चे को मारने से मना करते हुए उसे रोकना चाहा ।'अरे बच्चा है तो क्या हुआ? है तो विधर्मियो की ही औलाद।' कहते- कहते उसने पिस्तौल का ट्राइगर दबा दिया. ठांय की आवाज के साथ गोली मासूम की पीठ में जा लगी. बच्चा वही गिर गया गिरते हुए बच्चे के मुख से निकली आवाज़ ने गोली चलाने वाले को हिलाकर रख दिया। गोली चलाने वाला बच्चे के शव पर बिलख- बिलख कर रो रहा था क्योंकि वह उसका अपना ही बच्चा था. जो दंगे में उसे खोजता हुआ यहाँ तक आ पहुंचा था।

✍️कमाल ज़ैदी' वफ़ा', सिरसी (सम्भल)

 मोबाइल फोन नम्बर 9456031926

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