तुम मेरे साथ चलो
दुनियां दिखलाता हूँ
जीवन का जीवन से
परिचय करवाता हूँ!
तुम मेरे साथ,,,,,,,,,,,,
मुश्किल से मिलता है
कुछ प्यार ज़माने से
सबकुछ खोजाता है
इक नज़र चुराने से
मत खुदपर बोझ बनो
तुमको समझाता हूँ!
चढ़ते को मत रोको
गिरते को थामो तुम
झूठी धन दौलत को
अपना मत मानो तुम
सच्चाई जीवन की
तुमको बतलाता हूँ!
मानो तो देव सभी
वरना सब पत्थर है
अभिमानी धरती पर
काँटों का गठठर है
मैं नर-नारायण से
तुमको मिलवाता हूँ!
मन की गागरिया में
जीभर के प्यार भरो
कोयल सी वाणी से
सबका सत्कार करो
अमृत के झरनो में
तुमको नहलाता हूँ!
दुनियां क्या करती है?
इस पर मत् जाओ तुम
अपनी मन बगिया का
हर पुष्प खिलाओ तुम
खुशियों की माला मैं
तुमको पहनाता हूँ !
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद 244001
9719275453
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें