कुछ कड़वी यादें
कुछ कड़वी यादें
जो हिला देतीं हैं वर्तमान को
और भिगो देतीं हैं
आँखों के कोरों को
आंसुओं से बरसात की तरह
दिखाई देता है
फिर सब कुछ धुंधला सा
अंधेरे में भटकती
फिरती रूह तरसती हैं
एक किरण रोशनी के लिए
मग़र ए - दिल
न हो निराश यूं
जिसने बनाकर स्याही लिख दिए
पन्ने जिन्दगी के
कुछ खुशी की यादें
और बेइन्तहाँ पन्ने ग़मों के
उसने दी है शौगात एक और भी
अपने इरादे रूपी
'रबड़ 'से मिटाकर
उन दुख भरी कहानियों को
एक पन्ना फिर से
खुशियों और उमंग से भरा लिख
जो हो तेरे बिल्कुल तेरे मन का.
✍️राशि सिंह
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
कुछ कड़वी यादें
जो हिला देतीं हैं वर्तमान को
और भिगो देतीं हैं
आँखों के कोरों को
आंसुओं से बरसात की तरह
दिखाई देता है
फिर सब कुछ धुंधला सा
अंधेरे में भटकती
फिरती रूह तरसती हैं
एक किरण रोशनी के लिए
मग़र ए - दिल
न हो निराश यूं
जिसने बनाकर स्याही लिख दिए
पन्ने जिन्दगी के
कुछ खुशी की यादें
और बेइन्तहाँ पन्ने ग़मों के
उसने दी है शौगात एक और भी
अपने इरादे रूपी
'रबड़ 'से मिटाकर
उन दुख भरी कहानियों को
एक पन्ना फिर से
खुशियों और उमंग से भरा लिख
जो हो तेरे बिल्कुल तेरे मन का.
✍️राशि सिंह
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें