.... छोटी रेखा कब से टकटकी लगाए सड़क पर देख रही थी ।... आज भैया को पगार मिलने वाली थी 3 दिन से घर में चूल्हा नहीं जला... मां छुटकू के साथ बुखार में तप रही थी ... टिंकू भी बार-बार भूख से रोए जा रहा था ।.... सड़क दुर्घटना में गोपाल की मौत हो गई थी तब से नन्हे ही जो कि 8 साल का था घर का मुखिया था .....आज उसे पगार मिलने वाली थी... और घर जाने की छुट्टी भी । घर में पैसे आते ही महीने भर का राशन आ जाता था ।
सहसा सेठ दीनदयाल की फैक्ट्री का बड़ा सा दरवाजा जैसे ही खुला 7 से 11 साल तक के बच्चों की टोली शोर करती हुई बाहर निकली... कहना नहीं होगा सभी बंधुआ बाल मजदूर थे ! जो पगार मिलने व महीने बाद घर जाने की खुशी में पंछियों की तरह चह चहाते हुए अपने अपने घरों के लिए उस क़ैद खाने से बाहर निकले थे........ परंतु यह क्या अचानक पुलिस अफसरों के साथ बलराज प्रधान आगे बढ़ा और सभी बच्चों को पुलिस ने गिरफ्त में ले लिया..
"मैंने बहुत बार समझाया सेठ दीनदयाल को बाल मज़दूरीअब अपराध है परन्तु उसकी समझ में कब आता है अब भुगतो !" बलराज प्रधान ने अपनी जीत पर खुश होते हुए गर्व से कहा !
..... सेठ जी तो मोटी रकम देकर जेल जाने से बच गये ...परन्तु....
.......गोपाल के घर आज भी चूल्हा नहीं जला !!
उधर बच्चों से छीने गए रुपए प्रधान और पुलिस ने आपस में बांट लिये ......
..... अचानक झोपड़ी से रेखा और दो छोटे बच्चों की चीखें हवा में गूंजने लगी मां दुधमुंहे बच्चे को सूखी छाती से लगाये ही सिधार गयी थी !
..... प्रधान की बैठक में शराब के दौर अब भी जारी थे.......!!
अशोक विद्रोही, 412 प्रकाश नगर ,मुरादाबाद। मोबाइल फोन नम्बर 82 188 25 541
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