बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर की साहित्यकार रचना शास्त्री की लघुकथा ------ ---- तमसो मा ज्योतिर्गमय

 


दिन‌ ढल रहा था सूरज को चिंता होने लगी अब कुछ देर में ही उसे अस्त हो जाना है, उसके बाद कौन होगा जो #तमसो_मा_ज्योतिर्गमय का भार वहन करेगा।कौन जो होगा उसके प्रबल शत्रु अंधकार का उसके पुनः लौट आने तक सामना करेगा।

सूरज को चिंतित देखकर चांँद ने कहा आप चिंता न करें जरा सी रोशनी मुझे दे जाइए मैं आपके स्थान पर रहकर अपनी तारक सेना के साथ अंधकार का सामना करुँगा।

सूरज निश्चिंत भाव से चंद्रमा को अपना प्रकाश सौंप अस्त हो गया।चंद्रमा उसके स्थान पर सैन्य सहित आ डटा।

सूरज को गया देख अंधेरे की प्रसन्नता का पारावार न रहा ,उसने जोर की अंगड़ाई ली और चारों ओर से गहरे काले बादलों ने चंद्रमा को सैन्य सहित घेर लिया, बादलों को आता देख चाँद ने पराभव निश्चित जान मंदिर में जलते दिये को पुकारा दिये ने कहा वह अंदर अंदर चुपके से जलकर अपना दायित्व निभायेगा।अब तक चाँद सैन्य सहित बादलों ‌में समा चुका था। समस्त मार्गों पर अपनी विजय पताका लहराते अंधकार ने मंदिर में ‌जलते उस नन्हें दिये को देखा तो भयानक अट्टाहस किया जिससे तेज आँधी आई और दिये की लौ फड़फड़ाकर बुझ गई।अंधकार प्रसन्न‌ था, उसने अपने सहयोगियों ‌को उत्सव मनाने का आदेश दिया चारों ओर गरज के साथ पानी बरसने लगा,तेज हवाएं चलने लगीं, चारों ओर अपना साम्राज्य पा अंधकार अत्यंत प्रसन्न‌ हुआ।

      रात ढलने लगी प्राची में भोर का आगमन हुआ,भोर ने देखा पानी पर तैरते दो पत्तों‌के बीच एक नन्हा जुगनू मरणासन्न पड़ा है पर उसके पंख अब भी चमक रहे हैं,भोर ने उसका माथा चूम लिया और कहा मेरे बच्चे! तुम्हारी ये हालत कैसे हुई?

क्षीण मुस्कुराहट के साथ जुगनू ने कहा माँ‌ मैं नन्हा होने के कारण अंधकार को पराभूत न कर सका पर मैंने उसे जीतने भी न दिया,कहकर उसने माँ की गोद में पलकें मूँद लीं।भोर रो उठी, उसके अश्रुकण ओसकणों‌ के रूप में यत्र तत्र झिलमिलाने लगे।

सूरज ने ‌भोर की उदासी का कारण जानना चाहा तो उसने जुगनू का मृत शरीर सम्मुख रख दिया,सूर्यदेव‌ सब समझ गये। उन्होंने अपने सुनहरे उत्तरीय से भोर के आँसू पोंछे, तभी मंदिर में घंटाध्वनि हुई, पुजारी ने देवता की आराधना में ऋचापाठ करते हुए गाया--

#तमसो_मा_ज्योतिर्गमय....।

✍️रचना शास्त्री

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