"सर जी देखिए।अखबार में कल की प्रतियोगिता की खबर निकली है।"
"अच्छा....जरा दिखाना तो अखबार।मैं तो पूरे महीने इस प्रतियोगिता की प्रक्रिया में अध्यापकों और बच्चों के साथ इतना व्यस्त रहा कि परिणाम आने के बाद अखबार में विज्ञप्ति देने का ध्यान ही नहीं रहा।खैर हमारी और बच्चों की मेहनत रंग लाई और परिणाम में हमारे जिले के बच्चे विजेता रहे।जरूर कोर्डिनेटर सर ने विज्ञप्ति दी होगी।"
"नहीं सर जी, उन्होंने भी नहीं दी है शायद....क्योंकि वे विज्ञप्ति देते तो प्रतियोगिता प्रभारी में आपका और कोर्डिनेटर में उनका भी नाम या फोटो जरूर होता।"
"मतलब.....?"
"मतलब, ये देखिए...।विजेता बच्चों के साथ गणपत सिंह जी का फोटो और हेडिंग में 'राज्य में जनपद का नाम:वरिष्ठ प्रतियोगिता प्रभारी गणपत सिंह जी का प्रयास' लिखा हुआ है।"
अखबार का वह पन्ना देखकर सतीश सर की आँखे खुली की खुली रह गयी।एक महीने से वह कोर्डिनेटर जी के सहयोग से साथी अध्यापकों और बच्चों को प्रोत्साहित कर इस प्रतियोगिता के लिए तैयार कर रहे थे।यों तो गणपत सिंह की भी यह जिम्मेदारी थी पर वह हमेशा की तरह जिम्मेदारी औरों पर डालकर बेफिक्र था।और अब...
"मैंने आपको कई बार कहा है सर जी,पर आप सुनते नहीं।हमेशा मन लगाकर काम के पीछे पड़े रहते हो,कभी नाम का भी जुगाड़ रखा करो।"
सतीश अखबार की हेडिंग 'वरिष्ठ प्रतियोगिता प्रभारी गणपत सिंह' पर नजरें गड़ाए हुए धीरे से बोले
"प्रतियोगिता प्रभारी तो मैं था !"
आँखों के इशारे से उन्हें समझाते हुए जुनैद ने रहस्यमयी आवाज में कहा,
"पर विभाग का मीडिया प्रभारी तो गणपत सिंह है न सर जी..."
🖊️हेमा तिवारी भट्ट , मुरादाबाद
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