बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार विवेक आहूजा की कहानी ------सबक

 


अपने परिवार के बारे में बड़ी-बड़ी बातें बखान करने में रविंद्र का कोई सानी नहीं था ।  मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में रविंदर आए दिन अपने परिवार के बड़प्पन के किस्से सुनाया करता था , कि उसके पास सैकड़ों बीघा जमीन है दसियो नौकर हैं ,गाड़ियां हैं ,आदि आदि ..... एक दिन एक मैले कुचेले कपड़ों में सुबह सुबह एक  व्यक्ति मेडिकल कॉलेज के गेट पर पहुंचा और गार्ड से पूछा "भाई डॉक्टर रविंद्र का कमरा कौन सा है,  मैं उसका पिता हूं" गार्ड ने उन्हें गेट पर ही इंतजार करने को कहा और रविंद्र को बुलाने के लिए उसके कमरे पर चला गया , क्योंकि रविंद्र का कमरा गेट के ठीक सामने था उसने गार्ड से कहा आप उन्हें मेरे कमरे में ही भेज दें । रविंद्र के यार दोस्त भी उस समय कमरे में मौजूद थे, उन्होंने   रविंद्र से पूछा डॉक्टर साहब आपसे कौन मिलने आया है   । रविंद्र ने थोड़ा हिचकते हुए अपने मित्रों से कहा पिताजी ने किसी नौकर को भेजा है , मेरी फीस जमा कराने के लिए । 

वृद्ध व्यक्ति के कमरे में प्रवेश करते ही रविंद्र के यार दोस्त कमरे से चले गए । वृद्ध ने रविंद्र से कहा बेटा मेरे चाय नाश्ते का इंतजाम करो , जब तक मैं तैयार होता हूं ,फिर तुम्हारे कॉलेज जाकर फीस जमा कर देंगे । रविंद्र अपने पिताजी के लिए चाय नाश्ते का इंतजाम करने चला गया   । रविंद्र के सभी यार दोस्त कमरे की खिड़की से झांक रहे थे तो रविंद्र के पिताजी ने उन्हें कमरे में बुला लिया । रविंद्र के पिताजी ने उनसे पूछा क्या बात हो रही है , तो उन्होंने बताया की रविंद्र ने उनसे कहा है कि उसके पिताजी ने किसी नौकर को भेजा है,  उसकी फीस जमा करवाने के लिए ।  यह सुन रविंद्र के पिताजी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया ,  लेकिन उन्होंने रविंद्र के मित्रों के सामने कुछ भी जाहिर नहीं किया । कुछ देर में रविंद्र भी चाय नाश्ता लेकर कमरे में आ गया यार दोस्तों को वहां पर देख वह घबरा गया कि कहीं उन्होंने उसके पिताजी से कुछ कहा तो नहीं है । रविंदर को देख जब उसके मित्र कमरे से जाने लगे तो उसके पिताजी ने मित्रों को रोक दिया और कहा "आपके दोस्त ,डॉ रविंद्र कुमार जी ने जो मेरा परिचय दिया है वह अधूरा है मैं उसे पूरा करना चाहता हूं" वह आगे बोले ..."मेरी हैसियत इनके घर में एक नौकर की ही है , पर मैं इनका नौकर नहीं हूँ,  मैं तो इनकी माँ का नौकर हूं" 

यह सुन रविंदर अपने दोस्तों के समक्ष शर्म से पानी पानी हो गया । इसके पश्चात रविंद्र के पिताजी ने तैयार होकर कॉलेज में रविंद्र की फीस जमा करवाई ,व दोपहर वाली गाड़ी से गांव वापस चले गए ।

✍️विवेक आहूजा 

बिलारी , जिला मुरादाबाद 

@9410416986

Vivekahuja288@gmail.com

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