"कितने गड्ढे हो गए हैं सड़क में, सरकार भी ना जाने किस गम्भीर हादसे के इंतज़ार में आँखे मूँदे बैठी रहती है", सड़क के छोटे से गड्ढे से एक बड़ा पत्थर उखाड़ कर जैक के नीचे लगाकर, पंक्चर हुए टायर को घूरते हुए अब्दुल बड़बड़ाया और जैक का लीवर हिलाने लगा।
✍️नृपेंद्र शर्मा "सागर", ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें