शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद की ( वर्तमान में नई दिल्ली निवासी) साहित्यकार मंगला रस्तोगी की कविता ----आखिर कब तक

तारीख़ बदलती रही हर बार

साल आते रहे, जाते रहे

बदलती रहीं सत्तायेंं 

नहीं बदली रेप की मानसिकता 

1973 में अरुणा शॉनबाग 

 1980 में  बागपत में हुआ 

माया त्यागी कांड 

या हो..

 2012 का  निर्भया रेप केस 

यहां तक की कठुआ रेप केस के बाद भी 

क्यों जगा नहीं हिन्दुस्तान?

 बात हाथरस की हो या हो

 किसी शहर मोहल्ले की 

देख हैवानियत दरिंदों की

जन्म लेने से भारत में 

अब बेटी की रूह कांंपती होगी 

देश की अंतरात्मा अब भी नहीं 

तो पता नहीं फिर कब जागेगी 

बेटी बचाओ तो कैसे हर मां 

दिन रात यही सोचती होगी

बलात्कारी देश के हर कोने में छुपा है।

 हर गली और हर चौराहे पर है, 

वो बस में भी है, 

वो स्कूल में भी है, 

वो जेलों में भी है, 

वो अस्पतालों में भी है, 

वो धार्मिक संस्थानों में भी है, 

वो कठुआ में भी है,

 वो उन्नाव में भी है।

 वो शहर में भी है

 वो गांंव में भी है 

कौन सी जगह बताओ 

जहां वो नहीं

 धर्म-मज़हब ,जात -पात को

 ना हथियार बनाओ 

साथ एक दूसरे का दो 

मानवता का धर्म निभाओ 

मासूमोंं को करो सुरक्षित हाथ बढ़ाओ 

दरिंदगी करने वालोंं  की 

इस खतपतवार का खात्मा

अब बहुत जरूरी है 

क्यों कि बलात्कारी 

देश के हर कोने में छुपा है।


मंगला रस्तोगी, नई दिल्ली

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें