ज़िले के लोकप्रिय समाचारपत्र में छपा कविंद्र जी का मुक्तक सबको बहुत पसन्द आया और उनके पास बधाई संदेशों की लाइन लग गई
उनको पढ़कर कविंद्र जी सोच रहे थें "येे कैसी बधाई है,इस मुक्तक मेेें तो एक शब्द भी मेरा नहीं है।पहली पंक्ति पत्नी ने और दूसरी पंक्ति कविमित्र ने बदल दी थी।तीसरी पंक्ति में मात्रा दोष बताकर गुरुजी ने नई पंक्ति डाल दी थी,और चौथी पंक्ति संपादक महोदय को रुचिकर नहीं लगी तो उन्होंने अपने हिसाब से लिख दी थी।"
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डाॅ पुनीत कुमार
T -2/505,आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
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वाह!!!
जवाब देंहटाएंक्या बात....
सबने मिलकर बनाया मुक्तक बधाई कविन्द्र जी को...
बहुत ही सुन्दर।
बहुत बहुत आभार आपका ।
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