रामू ने मम्मी से बोला,
मैं खाऊँगा खिचड़ी,
मम्मी बोली देर लगेगी,
गीली हैं सब लकड़ी।
बोला रामू खीर बना दो,
छोड़ो खिचड़ी - विचड़ी
बहुत देरसे मम्मी मुझको,
भूख लगी है तगड़ी।
कैसे खीर बनेगी बच्चे,
पड़ी दूध में मकड़ी
गोला,काजू खत्म करदिए,
बना - बनाकर रबड़ी।
छोड़ो मम्मी मैं खा लूंगा,
नमक लगी यह ककड़ी,
तभी बनाना कुछ खाने को,
सूख जाएं जब लकड़ी।
ठहर अभी लाती हूँ दुहकर,
छोड़ गाय की बछड़ी,
पीकर ताजा दूध मिटा ले,
भूख लगी जो तगड़ी।
✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी", मुरादाबाद/उ,प्र,
मोबाइल फोन नम्बर 9719275453
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मीठी मीठी लीची खाओ
देखें हम इसके गुण आओ
घुटनों, जोड़ो की पीड़ा से
जल्दी ही तुम राहत पाओ
चाहो यदि दिल थक ना जाये
जाकर जल्दी लीची लाओ
सुन्दरता भी इससे बढ़ती
सबको जाकर यह बतलाओ
खाओ खाओ लीची खाओ
गाना सब ये मिलकर गाओ
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
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मुर्गा बोला कुकड़ू कू,
मै तो दड़बे में बंद हूं।
लेकिन बांग लगाऊंगा,
सोतो को जगाऊंगा।
चिड़ियां बोलीं चीं चीं चीं ,
अब भी सोता है, छी छी छी।
बोला कबूतर गुटर गू,
मै भी अब दाना चुग लूं। गोलू मोलू सोते है,
फिर किस्मत पर रोते है।
जो अच्छे बच्चे होते है,
वो देर तलक कब सोते है?।
✍️ कमाल ज़ैदी "वफ़ा", प्रधानाचार्य, अम्बेडकर हाई स्कूल बरखेड़ा मुरादाबाद, मोबाइल फोन नम्बर 9456031926
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मीठा और रसीला आम,
इसको खाओ सुबह शाम।
खेल कूद में आए काम ,
खालो बच्चों खालो आम।
कितना है ये फल गुणकारी।
दूर करे कितनी बीमारी,
आओ इसका करें हिसाब
यह कैंसर से करे बचाव।
करे हिफाजत यह नैनों की,
और छोटे भाई बहनों की।
मोटापे में दे आराम,
खालो बच्चों खालो आम।।
करे बजन कम शक्ति लाएं,
पौरुष और उस तंदुरुस्ती लाए।
उत्तम फल सस्ते में आए,
निर्धन धनी सभी खा पाएं।
महिमा गुण में बहुत बड़ा है,
बाजारों में अटा पड़ा है ।
गर्मी में देता आराम,
खालो बच्चों के खालो आम।।
हृदय रोग में है अनमोल,
करे संतुलित कोलस्ट्रोल।
फाइबर और विटामिन सी,
त्वचा चमकाए कुंदन सी।
स्मरण शक्ति खूब बढ़ाये ,
पाचन क्रिया ठीक हो जाए।
सभी फलों का राजा आम,
खालो बच्चों के खालो आम
✍️ अशोक विद्रोही, 412 प्रकाश नगर, मुरादाबाद 244001, मोबाइल फोन नम्बर 82 188 25 541
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खेलते थे हम सब दुकी मिचौना
बड़ा सा था अम्मा का अंगना ।
भागम भाग और पकड़म पकड़ी
करते थे सब मिल धमा चौकड़ी।
खो खो करते थे सब बारी बारी
सूप छलनी में भरते थे कभी पानी ।
इक्कल दुक्कल और बग्गी बग्गा
खेलते थे मिलजुल सब चंदू चंदा ।
खेल अनोखा कोड़ा जमार खाई
पीछे मुड़कर देखते ही मार खाई ।
आओ फिर से वो खेल खिलाओ
बच्चों को उनके बचपन से मिलाओ ।
✍️ राशि सिंह, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
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सर सर कहते पात सभी से
हवा प्रेम की सदा बहाओ
न रूठो मनुज इक दूजे से
हरा भरा संसार बसाओ ।
चिड़िया कहती रोज सवेरे
खुल कर अपने पर फैलाओ
ऊँचाई है तुमको पाना
जितना चाहो उड़ते जाओ ।
कोयल कहती जब मुँह खोलो
मीठे मीठे गीत सुनाओ
कटु वचनों के तीर चलाकर
नहीं किसी का हिय दुखाओ ।
✍️ डॉ रीता सिंह
आशियाना, मुरादाबाद
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मान से मनुहार से ,
अम्मा कहे पुकार के ,
आ जाओ अब राजदुलारी ,
रूठ न जाना प्यार से ,
चुपके -चुपके , हौले-हौले ,
अँगना में जब तू यूँ डोले ,
महके मेरे घर की बगिया ,
हसँ दे जब मेरी बिटिया ,
छम -छम -छम -छम पायल बाजे ,
पीछे -पीछे हम यूँ भागें ,
छोटी सी नटखट राजकुमारी ,
आ जाओ मेरी ललना ,
✍️ डॉ शोभना कौशिक, बुद्धिविहार, मुरादाबाद
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मैंने घोंसला बनाया
श्रम तिनकों से सजाया
बड़े चाव से
घंटों बैठा रहा मम्मी
मैं तो आस में
कोई गौरैया न आई
उसके पास में
पूरा असली सा बनाया
नकली वृक्ष भी बनाया
अपने आप से
कोई गौरैया न आई
उसके पास में
खूब दाना भी बिखराया,
प्याली पानी की रख आया
पलकें मग में बिछाई बड़े चाव से
कोई गौरैया न आई
उसके पास में
कितना क्रूर है यह मानव,
करे वृक्षों का समापन
उजड़े पंछी का बसेरा
मन उदास रे
कोई गौरैया न आई
उसके पास में
रेखा ने संकल्प उठाया
उसने पूरा बाग लगाया
अब तो आने लगी
नन्हीं चिड़िया बाग में
मेरा मन अब रहा न उदास है
✍️ रेखा रानी, गजरौला, जनपद अमरोहा
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हम हैं प्यारे प्यारे बच्चे।
सारे जग में सबसे अच्छे।।
कोई हमको फिक्र न फक्का।
रखें इरादा हरदम पक्का।।
मस्ती में नित झूमें गायें।
मिलकर सारे मौज मनाएं।।
होली हमको बहुत लुभाती।
मीठी गुंजिया हमको भाती।
रात रात भर जगते रहना।
भैया होली का क्या कहना।।
सारे मिलकर करते हल्ला।
भौंह सिकोड़ें मिस्टर भल्ला।।
लेकिन हम मर्जी के बंदे।
दुनिया के नहिं जानें फंदे।
हम हैं मन के बिल्कुल सच्चे।
हम हैं प्यारे प्यारे बच्चे।।
✍️ अटल मुरादाबादी
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आया गाड़ी वाला, घर का कूड़ा निकाल।
गीले को नीले, सूखा, हरे में डाल ।
घर-दफ्तर जब साफ रखें हम।
रोग-बिमारी तब होंगे कम।
नाली में डेली, किरोसिन तू डाल।
आया गाड़ी वाला, घर का कूड़ा निकाल।
मक्खी-मच्छर मार भगाएं।
डेंगू-मलेरिया को हम हराएं।
कूलर औ'र गमलों से पानी निकाल।
आया गाड़ी वाला, घर का कूड़ा निकाल।
गली-मोहल्ले,सड़कें या रोड।
कूड़ा क्यों इन पर देते हो छोड़?
न सुधरोगे तो, होगे बेहाल।
आया गाड़ी वाला, घर का कूड़ा निकाल।
मास्क लगा कर मुंँह पर रखना।
हाथों को धोना, सैनेटाइज करना।
आएगा कोरोना का भी काल।
आया गाड़ी वाला, घर का कूड़ा निकाल।
✍️ दीपक गोस्वामी 'चिराग', शिवबाबा सदन, कृष्णाकुंज, बहजोई 244410 (संभल) उत्तर प्रदेश
मो - 9548812618
ईमेल:- deepakchirag.goswami@gmail.com
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मम्मी-पापा उछल रहे हैं;
हाथ-पैर भी पटक रहे हैं ।
पहले हाथों को फैलाते;
गर्दन इधर-उधर मटकाते ।।
पैरों को फैला देते हैं;
पैर अंँगूठे छू लेते हैं ।
एक हाथ छुए पैर दूजा;
द्वितीय हाथ करे क्रम पूरा ।।
कभी पालथी मारे बैठे:
तनकर बैठे लगते ऐंठे ।
लम्बी-लम्बी सांसें भरते:
धीरे-धीरे छोड़ा करते ।।
हाथों की अंँगुली हैं धरते;
आँख-कान नाक बंद करते ।
एक सुर से सांस हैं भरते;
दूजे सुर में धीरे चलते ।।
दीवार का लेते सहारा;
शीर्षासन सिर पर तन सारा ।
आँख मीच कर ध्यान लगाया;
मम्मी का तब सिर चकराया ।।
ध्यान धरूंँ तो घर दिख जाता;
मम्मी कहती मुझे न भाता ।
योग-वोग हैं पेट भरो के;
चर्बी जिनको चढ़ी धड़ों के ।।
पापा से मम्मी यों कहतीं-
बेटी की चिंता नहिं सहती ।
धन का भी कुछ योग लगाओ;
चिंता का घर नहिं बसवाओ ।।
करोना ने मार है मारी;
सर्विस पर है मारा-मारी ।
मध्यम वर्ग विपत्ती भारी;
मदद नाय सरकारी जारी ।।
योग वही जीवन चल जाये;
कष्ट मानसिक कभी न आये ।
शहरी ही करते हैं योगा;
मस्त दिखते गाँव के लोगा ।।
✍️ राम किशोर वर्मा, रामपुर (उ०प्र०)
मोबाइल नं०-84331 08801
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आज सुबह जब गोलू जागा,
खुशी खुशी बाहर को भागा,
बाहर पानी बरस रहा था,
घन घन बादल गरज रहा था,
घर आँगन नाली सडकों पर,
पानी ही सब जगह भरा था,
अब विद्यालय बंद रहेगा,
रेनी डे में कौन पढ़ेगा,
अब स्कूल नहीं जाऊँगा,
घर बैठे ही सुस्ताऊँगा,
कागज की कुछ नाव बनाकर,
पानी पर अब तैराऊँगा,
चाय पकौड़ी खूब मिलेगी,
पूरे दिन ही मौज रहेगी,
सोच सोच गोलू मुस्काया,
बारिश का आभार जताया,
रोज रोज पानी बरसाओ,
हर दिन रेनी डे करवाओ।
✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल, MMIG - 69, रामगंगा विहार, मुरादाबाद
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गोल गोल गोलमगोल
वृत्त है मेरा नाम
बॉल बनाकर बच्चों को खिलाना
मेरा अद्भुत काम
पेंसिल बॉक्स के जैसा है मेरा आकार
इसमें रखते बच्चे अपना सारा सामान
ऊपर नीचे दाएं बाएं भुजाएं एक समान
आयत है बच्चों मेरा नाम
दिखता हूं कुछ समोसे जैसा
पर्वत सा कुछ आकार
तीन भुजाएं बच्चों मेरी
त्रिभुज है मेरा नाम
चार भुजाएं मेरी है
आती है बहुत काम
लूडो कैरम मुझसे बनते
वर्ग है बच्चों मेरा नाम
✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
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काले काले बादल आये।
रिम झिम रिम झिम बरसा लाये।
नन्ही नन्ही बूंदे बरसे।
किसी को न बाहर जाने दे
घर में मस्त रहो सभी।
चाय पकौड़ी का मजा लो तभी।
कोई बैठ कर लिखो कहानी।
कोई देखो पिक्चर पूरानी।।
पसंद जो आये वो काम करो।
एक दुसरे को न परेशान करो।।
कभी खेलों लुडियो कभी कैरमबोट।
हसीं ठठा करते रहे तुम लोग।।
✍️ चन्द्रकला भागीरथी, धामपुर जिला बिजनौर
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आजा छुट्टियों में ऐ दोस्त-कुछ नया हम- करते हैं,
पशु-पक्षियों के दुख- दर्द को, चलो दोनों समझते हैं।
छिलके और पोलीथिन,अलग थलग करवाते हैं,
अलग-अलग थैलों में,हम उन्हें भरवाते हैं ।
गुठली-घास पर और छिलके पशुओं को, खिलाते हैं,
आओ छुट्टी में, हम-दोनों, मिलकर, कुछ नया करते हैं।
एक प्लेट में दाने-अनाज और कटोरों में- पानी रखदें
गर्मी का- मौसम है हम ,उनके जीवन को, सुरक्षित करदें।
समय का सदुपयोग कर, सेवापथ पर चलते हैं,
आज से दोस्त- सब मिलकर, हम नेक कर्म- करते है
कोई हो भूखा- प्यासा तो, उनका भी रखें-ध्यान हम
रोगी-निर्धन अनाथ के,बने सहायक,बनायें देश महान हम।
आओ अभी से सबके, कुछ दुख- दर्द ,दूर करते हैं।
चलो दोस्त छोटे-बड़े मिलकर, देश हित-नया करते हैं।
✍️ सुदेश आर्य, गौड़ ग्रेशियस मुरादाबाद
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बाल कथा : "प्यासा कौआ"
आज कालिया कौआ पूरे दिन उडते उड़ते परेशान हो गया, ना उसे खाने को कुछ मिला न हीं पीने की एक बूंद पानी । भूख तो वह कई दिनों तक सहन कर सकता था , लेकिन प्यास तो प्यास है उसे सहन करना बहुत मुश्किल है । यही हुआ कालिया कौआ के साथ प्यास से परेशान वह जंगल से बहुत दूर निकल आया और पास के नगर में ही एक मकान पर आकर कौ...कौ... करके शोर मचाने लगा.... मकान की छत पर कालिया कौआ का शोर सुनकर विनय ने मुन्नी को कहा "देखो बेटा ...आज कौआ कौ....कौ..... कर रहा है कोई मेहमान जरूर आएगा" पलट कर मुन्नी ने विनय को कहा ....."पापा आप कैसी बातें कर रहे हैं ....उसे प्यास लगी है" यह कहकर मुन्नी अपने बस्ते से पानी की बोतल में से एक कटोरे में पानी भरकर छत पर आ गई और कौआ के सामने कटोरे को रख दिया । पीछे पीछे विनय भी छत पर आ गया और यह देखकर हैरान रह गया कि कौआ तो वाकई बहुत प्यासा था , उसने पूरे कटोरे का पानी पी लिया । विनय ने मुन्नी के सर पर हाथ फेरते हुए कहा ..."मेरी बेटी तो बहुत होशियार है यह सब उसने कहां से सीखा" तो मुन्नी ने कहा.... "आज हमारी कक्षा में मैडम ने बताया कि पूरे संसार में कोई भी पशु पक्षी मनुष्य जल के बिना नहीं रह सकता ,यह हमारी सबकी आवश्यकता है" हमें अपने आसपास पशु पक्षियों के भोजन , पानी का भी ध्यान रखना चाहिए ,यही मानवता है ।
सीख : हमें इस छोटी सी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने आसपास जीव-जंतुओं के भोजन , पानी का भी ध्यान रखना चाहिए । क्योकि जीवित रहने के लिए मनुष्य ही नहीं जीव जन्तुओं को भी भोजन , पानी की आवश्यकता होती है ।
✍️ विवेक आहूजा ,बिलारी , जिला मुरादाबाद
मोबाइल फोन नम्बर 9410416986
vivekahuja288@gmail.com
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