सागर से गंभीर तुम , नभ जैसा विस्तार
पर्वत से दृढ़ तुम पिता ,वंदन है शत बार
वंदन है शत बार , सदा देते ही पाया
घर को शुभ आकार ,मिली तुमसे ही काया
कहते रवि कविराय ,स्वयं सिमटे गागर-से
चाह रहे संतान , बने बढ़कर सागर से
✍️ रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99976 15451
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें