रविवार, 6 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ पूनम बंसल का मुक्तक ----अगर क़ुदरत बिगड़ती है, तबाही फिर मचाती है

 


बनी है मीत साँसों की, परम वायु बहाती है। 

नहीं कुछ मोल लेती है, ख़जाने ये लुटाती है। 

करें इसको सुरक्षित हम, समय है जाग जाएं अब 

अगर क़ुदरत बिगड़ती है, तबाही फिर मचाती है।। 

✍️ डॉ पूनम बंसल, मुरादाबाद

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