रविवार, 20 जून 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार राहुल शर्मा की ग़ज़ल -----नकली कठोरता के मुखौटे से झाँकती आँखों से फूटती हुई मुस्कान है पिता


हिम्मत है हौसला है समाधान है पिता 

हर एक कठिन प्रश्न का आसान है पिता 


दुनिया में जिसके नाम से जाना गया तुम्हें 

अस्तित्व से जुड़ी वही पहचान है पिता 


नकली  कठोरता के मुखौटे से झाँकती 

आँखों से फूटती हुई मुस्कान है पिता 


सागर है मौन प्रेम का पर्वत है त्याग का 

अनबोले समर्पण का यशोगान है पिता 


सर पर पिता के हाथ से बढ़कर नहीं दुआ 

रक्षा कवच के साथ अभयदान है पिता 


कांधे पे बैठे बच्चे का आकाश भी है और 

सारे खिलौने खेल का सामान है  पिता 


सब देखभाल कर भी नज़र फेरता रहा 

बच्चे समझ रहे हैं कि नादान है पिता 


दुनिया में उसके जैसा कोई दूसरा नहीं 

ईश्वर का सबसे कीमती वरदान है पिता                                           

✍️ राहुल शर्मा , R-2, रंगोली ऑफ़िसर कालोनी, रामगंगा विहार, मुरादाबाद

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