शुक्रवार, 25 जून 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार माहेश्वर तिवारी का नवगीत .....

 

लिखना सीख रहे हैं

नए-नए

अर्थों से जुड़कर

टिकना सीख रहे हैं


शब्दों की

चौपाल लगाना

रंगों, ध्वनियों से

बतियाना

अच्छा-अच्छा

होने सा हम

दिखना सीख रहे हैं


घर तक आए

बाज़ारों में

विज्ञापन में

अख़बारों में

लोग अजीब

तरह से जाकर

बिकना सीख रहे हैं


राजा-रानी

पहले जैसे

जीवन जीते

खूब मज़े से

गर्म तबे पर

रोटी जैसा

सिकना सीख रहे हैं

✍️ माहेश्वर तिवारी

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