रविवार, 20 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ मीना कौल की रचना ---पास रह गए बस केवल, सुन्दर और सुखद क्षण याद। इन शीतल यादोँ की छाँव में, विस्मृत हुई दुःख की बात



सो गया फिर लाल उसका,पूछते पूछते यह बात 

तात हमारे जीवन में, आएगा कब सुखद प्रभात।

कर गई व्यथित उसको ,पुत्र की यह विकल बात 

क्या जबाब दूँगा इसका,इसी सोच में गुजरी रात ।

खो गया अपने अतीत में, याद हुई हर बीती बात 

धन वैभव और खुशी में, रहते थे सब साथ साथ ।

पर वक्त ने करवट बदली, बदल गए सारे हालात

वैभव पूर्ण जीवन में उसके,किया दैव ने आघात ।

दीवारों का साथ छूट गया, अपने हुए सपनों की बात 

पास रह गए बस केवल, सुन्दर और सुखद क्षण याद। 

इन शीतल यादोँ की छाँव में, विस्मृत हुई दुःख की बात

नए हौसलों और संकल्पों से ,कट जाएगी पिछली  रात। 

जीवन चक्र चलता रहता, सुख दुःख समय की बात 

कभी खुशी की धूप खिली, कभी गमों की काली रात। 

दोनों सदा साथ नहीं रहते,हो जाते हैं कल की बात 

वही मनुष्य आगे बढ़ता, जो नहीं बँधता इनके साथ।

यही पुत्र को है समझाना, निश्चिय कर ली उसने बात 

दिन की पहली किरण खिली,गुजर गई संशय की रात।

  ✍️ स्मृतिशेष डॉ मीना कौल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें