रविवार, 20 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता का गीत ---भूल नहीं सकती जीवन भर मेरा पहला प्यार पिता ..... साथ में दस दोहे


दस दोहे

मिले पिता से हौसला, और असीमित प्यार 

इनके ही आधार पर ,टिका हुआ परिवार

बच्चों के सुख के लिये, पिता लुटाते प्रान

अपने सारे स्वप्न भी, कर   देते कुर्बान

मिले पिता के नाम से, हम को हर पहचान 

कोई भी होता नहीं,   प्यारा  पिता समान

मिले पिता के रूप में, धरती पर भगवान 

इनका करना चाहिये, हमें सदा सम्मान 

पापा रहते आजकल,घर में बनकर मित्र 

जीवन शैली के बहुत, बदल गये हैं चित्र

पापा बाहर से कड़क, अंदर होते मोम 

खुद पीते गम का गरल, बच्चों को दे सोम 

पापा जब भी बाँटते, अनुभव की सौगात

बच्चों को कड़वी लगे, तब उनकी हर  बात

पापा साये की तरह, रहते हर पल साथ 

कैसे भी हों रास्ते, नहीं छोड़ते हाथ

पापा से है हर खुशी,  मम्मी का श्रृंगार 

मुखिया घर के हैं यही ,पालें घर परिवार

पापा मम्मी साथ में,चलें मिलाकर ताल

इन दोनों की छाँव में,घर होता खुशहाल 

✍️ डॉ अर्चना गुप्ता, मुरादाबाद

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