शनिवार, 19 जून 2021

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा) की साहित्यकार रेखा रानी की लघुकथा ---कौन पात्र कौन अपात्र


"अरे बीबी जी!..... दरवज्जा खोलियो, विपदा की मारी हूं। वो भी गुजर गए और पीछे से पांच बच्चे छोड़ गए... अब कैसे गुजारा करूं इनका ऊपर से यो कोरोना न्यारा आ गया।" बोलती ही जा रही थी भिखारिन ..... तब तक दरवाजा खोला भी नहीं था।  दरवाज़ा खोल कर....  उसकी दीन हीन सी दशा देखकर दया और सहानुभूति भाव से स्नेहा बोली" खाना खाया या नहीं," ना बीबी जी ..... हम गरीबों को कहां खाना नसीब होवे है। चल मैं खिलाऊं..…. पूड़ी और कटहल की सब्जी बनाई है । "रैन दो बीबी जी,....  बस तम मझे  सो पांसो रपए देदो  जिसते मैं अपनी गुड्डी के हाथ पीले कर दूं। "  ...............बेचारी स्नेहा द्रवित हो उठी, फटाफट पूड़ी सब्जी और कपड़े  दो सौ इक्यावन रूपए लेकर आई और बोली ..."देखो ये रख लो.....

" लाओ बीबी जी तम्हारे बच्चे जीते रहवें,  कमाऊ बना रह।"

     "बीबी पैसे थोड़े से नहीं लगरे इस ते नाक का टोरा भी नहीं मिलै"।   हां.... यह तो है स्नेहा बोली "लो मेरी नाक का पुराना हो गया है ,इसे ही लेलो मैं दूसरा पहन लूंगी।"

     आशीर्वाद का स्वर और तेज हो उठा था, जाते -जाते..... दरवाजा बंद करके वापस लौट कर फ़िर किचिन की ओर बढ़ी ही थी ,.......….

तभी फिर दरवाज़ाखटखटाया  ....खोला तो देखा एक  बहुत ही बीमार सा भिखारी  ..... दरवाजा खोलते ही कहने लगा.... "बहुत ही बीमार हूं दवाई को पैसे नहीं हैं। घर में मां भी बीमार है उसकी किडनी फेल हो गई हैं। बहन जी..... मदद कर दो"  ......अब तो स्नेहा अंदर से बहुत ही परेशान हो गई ....*दुनिया में कितने लोग बेचारे बडी ही दयनीय स्थिति से गुजर रहे हैं*।

 अभी आई .....सोचने लगी.... शाम को मन्दिर भी तो जाती गरीबों को दान करने सो यहीं कर दूं।...... उसने पांच सौ रुपए  और थोड़ा खाना देते हुए कहा कि "भूख लगी है खाना भी खा लो।" नोट देखकर बोला," बहनजी इससे तो फीस भी नहीं भरी जाएगी ,उस डाक्टर की जो अम्मा का इलाज करेगा।"

  "   हां,... यह तो है लो पांच सौ और रख लो।".... स्नेहा बोली। दुआ देता हुआ भिखारी दूसरे घर की ओर बढ़ गया।

     स्नेहा बालकनी में खड़ी होकर  धुले कपड़े उतारने लगी अचानक से उसने देखा मोड़ पर ही भिखारिन और वही भिखारी अपना सामान एक जगह मिला रहे थे।

 अब तो स्नेहा को समझने में देर न लगी कि कैसे ....दोनों कोरोना और गरीबी का फायदा उठा रहे थे साथ ही,.... स्नेहा की दरिया दिली का भी।.....


     ....… अब तो स्नेहा  मन ही मन पात्र अपात्र का चयन करने में उलझी थी ।

रेखा रानी, विजयनगर गजरौला, जनपद अमरोहा

 उत्तर प्रदेश।

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