सोमवार, 14 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की 14 जून 2021 को आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी

 मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की 14 जून 2021 को  मासिक काव्य गोष्ठी लाइनपार स्थित श्री जंभेश्वर धर्मशाला में संपन्न हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता योगेंद्र पाल विश्नोई ने की मुख्य अतिथि रमेश चंद्र गुप्त, विशिष्ट अतिथि  रघुराज सिंह निश्चल रहे। संचालनअशोक विद्रोही* ने किया । सरस्वती वंदना  रामसिंह निशंक ने की। 

काव्य गोष्ठी में योगेंद्र पाल विश्नोई ने पढ़ा-

दया इतनी करना विधाता, दुख दूर हो ,सुख पास रहे 

तेरा गुण गाने वाला ,यह भक्त कभी ना उदास रहे।

अशोक विद्रोही ने कहा- 

"तेरी हस्ती को मिटा दे ,

ऐसी कोई शह नहीं।

रब की इस दुनिया में ,

कोई तेरे जैसा है नहीं।"

बाद जाने के भी बन के 

गीत तुम गुंजा करो।।

बढ़ रहा बेशक कोरोना 

पर न तुम इस से डरो।

रघुराज सिंह निश्चल ने पढ़ा-

रक्त से दीजिए ,

जीवन का उपहार।

कितनों की मुस्कान है,

 दिया रक्त एक बार।।

राम सिंह निशंक ने कहा 

आई ऋतु पावस की 

छाए हैं काले धन ।

वर्षा की फुहार में,

 प्रमुदित हैं सबके मन।

प्रशांत मिश्र ने कहा-

 जिंदगी एक शाम बनती जा रही है ।

जो सवेरा होने के इंतजार में ढलती जाती है।

इंदु रानी ने कहा-

देखो जरा आंखों से यह चश्मा उतार के 

हालात देश के दिखेंगे आर पार के।

मनोज वर्मा मनु ने पढ़ा-

सिर पर छांव पिता की ,

कच्ची दीवारों पर छप्पर।

कृपाल सिंह धीमान ने पढ़ा-

वायु जीवन जल आज मेरे हाथ में है।

मैं प्रदूषण हूं क्या कर लोगे मेरा।

काव्य गोष्ठी में श्रीमती इंदुबाला विश्नोई को उनके सामाजिक कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

योगेंद्र पाल विश्नोई एवं रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने आभार अभिव्यक्त किया ।










✍️ अशोक विद्रोही 

उपाध्यक्ष

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति मुरादाबाद

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