वनस्पति ,जंतु जगत,
जलवायु मिल जाय।
इन सबका संतुलन ही,
पर्यावरण कहाय।।
पर्यावरण कहाय ,
हरे मत विरवे काटो,
वन्य जगत के जीवों,
को भी जीवन बांटो।
विद्रोही जीवन की ,
वर्ना होय दुर्गति ।
प्राणवायु हो शून्य ,
यदि न रहे वनस्पति।।
✍️ अशोक विद्रोही, मुरादाबाद
जलवायु मिल जाय।
इन सबका संतुलन ही,
पर्यावरण कहाय।।
पर्यावरण कहाय ,
हरे मत विरवे काटो,
वन्य जगत के जीवों,
को भी जीवन बांटो।
विद्रोही जीवन की ,
वर्ना होय दुर्गति ।
प्राणवायु हो शून्य ,
यदि न रहे वनस्पति।।
✍️ अशोक विद्रोही, मुरादाबाद
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