सपनों वाली रात में,
कुछ परियां थीं साथ में।
सुंदर महफ़िल सजी हुई थी
गुड़िया दुल्हिन बनी हुई थी।
बहुत नजारे प्यारे प्यारे,
नगरी नगरी द्वारे द्वारे।
मद्धिम सा संगीत बजा था,
फूलों से कुल नगर सजा था।
चंदा की किरनें थीं फैली ,
महकी थी वह रात रुपहली।
छूट रहीं थीं जब फुलझड़ियां,
सजी हुई बिटिया की गुड़िया।।
देते थे सब लोग बधाई,
होनी थी उसकी कुड़माई ।।
सज कर दूल्हे राजा आये,
सखियों ने शुभ मंगल गाये।
ढोल नगाड़े बाज रहे थे,
खूब बराती नाच रहे थे ।।
किन्तु बग्घी संग न आई,।।
तब जादू की छड़ी घुमाई।
एक सुंदर बग्घी प्रकटाई,
गूंज उठी फिर से शहनाई।।
तभी पुलिस ने ज्ञान सुनाया,
राजा का फरमान सुनाया।
राजाजी का है ये कहना,
इक दूजे से दूर ही रहना।।
देखो बिल्कुल भूल न जाना,
मुंह पर सब ही मास्क लगाना ।
नहीं सुना तो फिर मत रोना,
फैल रहा है बहुत कोरोना।।
लोगों ने आवाज लगाई,
खा मत लेना कोई मिठाई।।
यह सुन घोर उदासी छाई,
हलवाई को खांसी आई।
शक है उसको है कोरोना,
बंद हुआ संगीत सलोना।
भागे सारे लोग ये सुन कर,
जिसको मिला स्थान जहां पर।
ऐसी भगदड़ मची वहां पर,
लोग उड़नछू हुए कहां पर।
फिर क्या बहुत हुई बर्बादी,
पर गुड़िया की हो गयी शादी।
✍️ अशोक विद्रोही , 412 प्रकाशनगर, मुरादाबाद, मोबाइल 8218825541
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चींटा बोला बड़े प्यार से,
सुन लो चींटी रानी,
हम बबलू के घर खाएंगे,
घी, शक्कर मनमानी।
आने वाला है बारिश का,
मौसम तनिक विचारो,
करें इकट्ठा खाना - दाना,
भरकर रख लें पानी।
मरे हुए कीटों को भी हम,
अपने बिल में लाएं,
कल के लिए इकट्ठा करके,
रख लें दिलवर जानी।
चूक गए अवसर तो बच्चे,
भूखे मर जाएंगे,
आलस कभी न अच्छाहोता,
कहते ज्ञानी - ध्यानी।
मैं भी कैसे कर पाऊंगा,
सारा काम बताओ,
तुम अंडों पर बैठी-बैठी,
बनती रहो सयानी।
चीटीं बोली चींटे राजा,
मुझे यही चिंता है,
लक्ष्मण रेखा पार करी तो,
होगी जान गवानी।
लालच बुरी बला है बच्चो,
इसमें कभी न आना,
लालच के फंदे में पड़ना,
होती है नादानी।
✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी", मुरादाबाद/उ,प्र, मोबाइल 9719275453
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बच्चों के मन भाता संडे ।
सबको बहुत लुभाता संडे ।
होमवर्क से छुट्टी मिलती।
कितना रेस्ट कराता संडे।
सिर्फ एक दिन मुख दिखलाता।
फिर छ: दिन छुप जाता संडे।
बच्चों को पिकनिक ले जाकर।
खुद 'फन-डे' बन जाता संडे।
घर में बनते कितने व्यंजन ।
नए-नए स्वाद चखाता संडे ।
लेकिन प्यारी मम्मी जी का।
काम बहुत बढ़वाता संडे ।
मुन्नी यों मम्मी से बोली।
रोज नहीं क्यों आता संडे।
✍️ -दीपक गोस्वामी 'चिराग'
शिव बाबा सदन,कृष्णा कुंज
बहजोई-244410 (सम्भल)
मो. 9548812618
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सब मिल हम सखियाँ बचपन की
चल करते बतियाँ बचपन की
बागों में चलकर फिर खाते
वो खट्टी अमियाँ बचपन की
छत पर सो तारों को गिनकर
बीते फिर रतियाँ बचपन की
शादी हम जिसकी करवाते
चल ढूँढे गुड़िया बचपन की
कच्चे उस आगंन में अब भी
फुदके हैं चिड़ियाँ बचपन की
नव जीवन के सपने देखें
चमके हैं अँखियाँ बचपन की
✍️ प्रीति चौधरी,गजरौला , अमरोहा
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मीठा मीठा बोल कर,
मुंह में मिश्री घोल कर ,
बातें बोलो तौलकर,
मन में स्नेह घोलकर।
जिस दिन तुम अपना लोगे,
प्यारे बच्चों सचमुच में तुम
सब के प्यारे बन जाओगे।
सूर्योदय से पहले जागो,
आलस को तुम दूर भगा दो।
धरती मां को शीश झुका दो,
नमन करो थोड़ा मुस्कुरा दो,
जिस दिन तुम अपना लोगे।
प्यारे बच्चों सचमुच में तुम
सबके प्यारे बन जाओगे।
मन से तुम स्वाध्याय करोगे,
नित उठ योगा आप करोगे,
मन में जो विश्वास भरोगे।
लक्ष्य को अपने पूर्ण करोगे,
जब रेखा तुम लक्ष्य पा लोगे,
प्यारे बच्चों सचमुच में तुम,
सबके प्यारे बन जाओगे।
✍️ रेखा रानी, विजय नगर, गजरौला, जनपद अमरोहा
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मेरा भारत कितना प्यारा
सारी दुनिया में है न्यारा ।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सारे धर्मों को है प्यारा ।
एक अनोखी बगिया जैसा
रंग अनेक सजा है सारा ।
अनगिन जाति महक बिखराती
प्रेम सभी ने इस पर वारा ।
विपदा में सब एक हुए हैं
मिलकर इनसे हर दुख हारा ।
✍️ डॉ रीता सिंह, आशियाना ,मुरादाबाद
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पलकों के झूले में
झूल री निंदिया
राह देखें तेरी
कितने सपनें
चांद सितारे
सब हैं अपने
तू भी अब
बेगानी न रह
गुस्सा अपना
भूल री निंदिया
गा रही लोरी
हवा पुरवइया
नाच रहीं परियां
थाम के बैयां
तू ही क्यों
बैठी है गुमसुम
तू सजा दे
फूल री निंदिया
पलकों के झूले में
झूल री निंदिया
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
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(1)
सरपट- झटपट
घर-चल नटखट
अब पढ़ असगर
मत कर,खटपट।।
(2)
डगमग- डगमग
धर मत अब पग,
अटल अचल बन
जगमग कर 'जग'।।
(3)
सरर -सरर सर
झरर -झरर झर
जल भर ,मन भर
बरस बरस कर।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर, मुरादाबाद
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(1)
आसमान में सतरंगी देखो
इंद्रधनुष चमक रहा है
कितना सुंदर कितना उजला
पाने को दिल मचल रहा है
लाल नारंगी पीला हरा
आसमानी नीला और बैंगनी
विशाल वृत्ताकार वक्र सा
देखो कितना दमक रहा है
वर्षा बाद नजर आता इंद्रधनुष
आखिर कैसे बनता है
कुछ तो बात है प्यारे इसमें
जो इतना मनोहर दिखता है
वर्षा या बादल में जब भी
जल के सूक्ष्म-सूक्ष्म कणों पर
सूर्य की किरणों से जब विक्षेपण होता है
इन्द्रधनुष बनता देखो कितना अद्भुत लगता है।
(2)
आओ बच्चों एक बात बताएं
तुमको खुशियों का राज बताएं
सुबह सवेरे जो उठते हैं
उठ कर नित्य कर्म करते हैं
कुल्ला मंजन योगा करते
स्नान करके खुद को स्वच्छ रखते
सुबह सवेरे सरस्वती मां का ध्यान लगाते
प्यारे बच्चे आगे ही बढ़ते जाते
नाश्ता कर स्कूल को जाते
गुरुजनों को फिर शीश नवाते
मन लगाकर विद्या पाते
शाम को फिर घर आ जाते
शाम को खेलने बगीचे में जाते
मां के हाथ का खाना खाते
अपनी सेहत खूब बनाते
अध्ययन कर फिर सो जाते
सपनों की दुनिया में खो जाते
प्यारे बच्चे हैं कहलाते
सबकी आंखों के तारे बन जाते
✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
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भैया की मैं बड़ी दुलारी
मम्मी कहती रानी ।
दादी बोलें बड़काबोलन
सब बच्चों की नानी ।
सोनपरी मुझे बाबा बोलें
नाना कहते हैं बातून
मामा जी नाम दिया है
प्यारा -प्यारा मून ।
पापा मुझको भोला कहते
बुआ लालपरी
चटर पटर मैं खूब बोलती
बातें खरी -खरी।
✍️ डॉ प्रीति हुंकार. मुरादाबाद
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ओ मेरी लाडली , घर के बाहर तुम जाना नहीं ,
बाहर गर जाओ ,तो लेकर कुछ खाना नहीं ।
बड़ी हो गई हो तुम , ज्यादा पड़ेगा तुम्हें समझाना नहीं , वक्त है खराब ,भलाई का जमाना नहीं ।
अच्छे से समझ लो तुम ,गर तुमने मेरा कहा माना नहीं ,
जमाने का क्या भरोसा, बाद में पछताना नहीं ।।
✍️ विवेक आहूजा, बिलारी, जिला मुरादाबाद
@9410416986
vivekahuja288@gmail.com
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मुन्नू आंगन में रोटी खाता
एक कौआ उसके पास आ जाता
कभी इधर घुमता कभी उधार घुमता।
रोटी का टुकड़ा पाना चाहता
कभी पंख फड फडात
कभी मुंह इधर-उधर घुमाता
मुन्नू उसे रोटी दिखाता
और खूब खिलखिलाता
तभी मां ने आवाज लगाई
मुन्नू तुम किधर हो भाई
मुन्नू बोला मां मैं बाहर हूं
मां ने कहा तुम बाहर न जाओ
रोटी तुम बेटा अंदर खाओ
मौका पाकर कौआ रोटी ले उडा
मुन्नू खड़ा खड़ा रोता रहा
✍️ चन्द्रकला भागीरथी,धामपुर, जिला बिजनौर
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पढ़ाई करते रहते हम,फिर भी नंबर आते कम ,
प्रभु हम क्या करें जी-बताओ क्या करें जी।
सुबह शाम पढ़ते हम,फिर भी नंबर आते कम,
प्रभु हम क्या करें जी-बताओ क्या करें जी
यह हिस्ट्री किसने बनाई ,
करनी है उसकी पिटाई,
कौन था राजा, कौन थी रानी,
दोनों मर गए, खत्म कहानी
अब करें क्यों -इसकी पढ़ाई
पढ़ाई करते----------
पोलिटिक साइंस क्यों हैं पढ़ाते
नेतागिरी करना कराना सिखाते
हमको इससे क्या, लेना- देना
क्या है हमें, लेना देना
पढ़ाई करते..........
अंग्रेजी यह विदेशी भाषा,
समझ आये न, इसकी परिभाषा,
पी-यू-टी-पुट है,बी-यू-टी-बट है,
कभी है लंबा वाक्य,कभी शॉर्टकट है
झंझट है यह अच्छा खासा-
बहुत ही झंझट है
पढ़ाई करते.............
विषय सब सारे ही कोई हटादो,
पढ़ने के झगड़े मिटा दो,
न पढेंगे न लिखेंगे,
बस हृदय पुष्प खिलेंगे
सफलता का फंडा बतादो-
या पढ़ने का मन बनादो
पढ़ाई करते .............
✍️ सुदेश आर्य, मुरादाबाद
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