फूलों से सजी सुहाग सेज पर वह सिकुड़ी और शरमाई सी बैठी थी ।बाहर जोर की हवाएं और बादलों में गरज हो रही थी कुल मिलाकर एक तरफ जहां हसीन थी यह रात वहीं कई रहस्य और वास्तविकता से परिचय कराने वाली थी नवविवाहित जोड़े का ।
उसके मन में कई सवाल उमड़ घुमड़ रहे थे अपनी सहेलियों से उसने सुना था कि सुहाग सेज पर पति कई बार तुम्हारे अतीत के बारे में भी पूछते हैं कि कहीं तुम्हारा कोई किसी से चक्कर बक्कर तो नहीं था वगैरह वगैरह ।
तभी दरवाजे पर किसी के आने की आहट हुई वह सकपका गई क्योंकि कोई प्रेमविवाह तो था नहीं दोनो एक दूसरे से वाकिफ भी नहीं थे ।
तभी किसी ने उसके हाथों को जैसे ही स्पर्श किया उसका ह्रदय जोर से धड़कने लगा ।
अजीब सा कंपन उसके पूरे शरीर में दौड़ गया ।
"नीना जी ।"
"जी ।"
"हमारी शादी इतनी जल्दीबाजी में हुई थी कि हम दोनों को किसी से को समझने का मौका ही नहीं मिला ।"उसने धीरे से कहा ।
पति की बात सुनकर उसको थोड़ी सी राहत सी महसूस हुई थी ।
वह अब संयमित हो गई ।
"जी ।"
"मुझे इन बातों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि तुमने किसी को प्यार किया या नहीं क्योंकि आज से हमारे जीवन की नई शुरुआत हुई है और मैं तुमको और तुम मुझको बस हम दोनों एक दूसरे को जानते हैं ।"
पति ने फिर से उसका विश्वास जीता ।
"जी ।"
"क्या जी जी किए जा रही हो तुम भी कुछ बोलो न !" उसने जोर का ठहाका लगाते हुए कहा इस बार नीना के मूंह में आया "जी " शब्द मूंह में ही रह गया वह सकपका गई ।
"एक बात पूंछ लूं !"पति की यह बात सुनकर नीना फिर से भयभीत हो गई ।
"जी पूछिए ।"
" जीवन में प्रेम कितनी बार हो सकता है ?"
"और यही अगर मैं तुमसे पूछूं तो ?"
"बड़ी चालाक हो तुम ..हम पर ही हमारा प्रश्न दे मारा ।"वह फिर से हंसा ।
"मेरे खयाल से तो कई बार हो सकता है ...लेकिन ...?"
"लेकिन क्या ...?"नीना ने फिर से पूछा ।
"पहले प्रेम जैसा विश्वास दोबारा नहीं होता किसी पर चाहे पहला प्रेम एक तरफा हो या फिर दो ।"
उसने नीना की आंखों के गहरे समुद्र में डूबते हुए कहा और नीना ने आंखे बंद कर समर्पण कर
दिया ।
✍️ राशि सिंह, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
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