रविवार, 6 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की रचना ----वृक्ष रोपण और जल संरक्षण फ़र्ज़ ये निभाने ही होंगे , चूक यदि हो गयी इनमें तो मंजर बहुत भयावह होंगे


सर सर बहती हवा कह रही

मत काटो मनुज पँख हमारे ,

स्वस्थ साँस का स्रोत यही हैं

समझो सच जीवन का प्यारे ।


नहीं रहेंगे विपिन अगर तो

कैसे बदरा मोहित होंगे ,

बरखा रानी के दर्शन को

तरस रहे भू अंबर होंगे ।


तेज ताप का होगा नर्तन

बवंडर मृदंग बजायेंगे

तृप्त न होंगे कंठ जीव के

सब हा हा कार मचायेंगे।


विज्ञान लाचार सा दिखेगा

सुख सँसाधन मुँह चिड़ायेंगे ,

मनमाने कोप प्रकृति के

सब मिलकर बहुत रुलायेंगे ।


जागो मानव अब भी जागो

नहीं भोग के पीछे भागो ,

श्वास महकती यदि लेनी है

लोभ ऊँचे भवन का त्यागो ।


वृक्ष रोपण और जल संरक्षण

 फ़र्ज़ ये निभाने ही होंगे ,

चूक यदि हो गयी इनमें तो 

मंजर बहुत भयावह होंगे ।


✍️ डॉ रीता सिंह, मुरादाबाद


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