रविवार, 20 जून 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में दिल्ली निवासी ) आमोद कुमार अग्रवाल का मुक्तक ---


हर कोलाहल का अंत एक,सूनापन ही होता,
हर बसंत पतझर का, अभिनंदन ही होता,
बिटिया के नेह का,जीवन कितना सीमित ये,
तनिक देर के बाद पिता,अपने आँगन ही रोता ।
 ✍️ आमोद कुमार अग्रवाल, दिल्ली






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