उस व्यक्ति को सभी ने समझाया कि तुम अपनी प्रसन्नता के लिए किसी निरीह प्राणी को मत सताया करो।तुम कभी उनका घर तोड़ देते हो,कभी उनके द्वारा संचित धन को लूटकर अपने आप को महान समझकर फूले नहीं समाते।
किसी के कठिन परिश्रम को धूल में मिलाना तुम्हारी आदत ही बन गई है।परंतु ईश्वर सब देख रहा है।उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती है,यह भी समझ लो।यह सुनकर वह व्यक्ति आग- बबूला हो गया।और बोला मैं जो चाहे करूं तुमसे मतलब,,तुम होते कौन हो मुझे सीख देने वाले।
एक दिन वह बाग में घूम रहा था।अचानक उसकी नज़र दूर पेड़ पर लगे एक बड़े से मधु मक्खी के छत्ते पर पड़ी।मधु मक्खियां बड़ी तल्लीनता और कठिन परिश्रम से अपने छत्ते की देखभाल करने में व्यस्त थीं।असंख्य फूलों से एकत्र शहद के चारों ओर घेरा डालकर उसकी रखवाली कर रहीं थीं।
शरारती व्यक्ति ने आव देखा न ताव एक पत्थर उठाकर छत्ते पर दे मारा।फिर क्या था कुछ ही पलों में गुस्साई मधु मक्खियों ने उसे चारों ओर से घेर कर ज़हरीले डंक मार-मारकर घायल कर दिया। ढोल की तरह सूजा व्यक्ति ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा और लोगों को इकट्ठा करके, भीषण पीड़ा से छुटकारा दिलाने तथा अपने प्राण बचाने की गुहार लगाने लगा।वह बार-बार यही रट लगाए जा रहा था कि अब मैं कभी किसी को नहीं सताउंगा।
तब कुछ लोगों ने उसे उपचार कराने ले जाते हुए कहा,,,,,देखा हमने क्या कहा था। कि ईश्वर सब देख रहा है।वह करनी का फल देने में बिल्कुल भी देर नहीं लगाता।अर्थात--
जैसी करनी,वैसी भरनी
✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी",मुरादाबाद, मोबाइल 9719275453
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