रविवार, 20 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार सरिता लाल की रचना ----मेरे रक्षाकवच,होआंखों की शान आप मेरे अस्तित्व की पहचान हो


आप मेरे सुन्दरसपनों की उड़ान

आप मेरा अडिग सा विश्वास हो

जहाँ चित्र बना सकता मैं हर पल

आप वो झिलमिल सा आकाश हो


आप मेरे सारे प्रश्नों के भी उत्तर 

मेरी नन्ही दुनिया की मुस्कान हो

हो मेरे सारेअरमानों की चितवन

आप तो हर खुशी का वरदान हो


 मेरी भाषाओं की सुखद लेखनी

आप मेरे अन्दर की परिभाषा हो

मैं निश्चिंत भाव से जो सोता हूं

आप गुदगुदाती सीअभिलाषा हो


आप मेरे खेल खिलौनो की दुनिया

आप क्या जादू सा कर जाते हो

जो चाहूँ उससे पहले देते सबकुछ

मेरे लिये सोनपरी भी बन जाते हो


 मेरे रक्षाकवच,होआंखों की शान

आप मेरे अस्तित्व की पहचान हो

नही जाना अब तक उस ईश्वर को

आप ही मेरे लिये सारे भगवान हो


✍️ सरिता लाल, मुरादाबाद

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