रविवार, 6 जून 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार का गीत -----रोगों को दूर भगाते हैं, हरते पीड़ाएँ तन-मन की, सेवा में तत्पर रहते हैं , पत्ते- पत्ते, डाली-डाली।।


मन- मोहक सुख देने वाली, होती धरती की हरियाली।

जो दुनिया के हर प्राणी के, जीवन की करती रखवाली। ।


ये हरी क्यारियां, घास हरी, इठलाती- बलखाती ऐसे,

मदमस्त हवा के झोंकों से, लहराता हो आँचल जैसे,

खुशबू से तर करती सबको, भर-भर देती मधु की प्याली। 


जब पेड़ो पर बैठे पंछी ,मीठी लय में सब गाते हैं,

तो फूलों से लिपटे भौंरे , उनसे सुर-ताल मिलाते हैं,

यह दृश्य देखकर आंखें भी, होती जाती हैं मतवाली।।


मीठे फल लगते पेड़ों पर, जो भूख मिटाते जन-जन की,

रोगों को दूर भगाते हैं, हरते पीड़ाएँ तन-मन की,

सेवा में तत्पर रहते हैं ,  पत्ते- पत्ते, डाली-डाली।।


हरियाली कारण वर्षा का ,जलवायु विशुध्द बनाती है , 

हर जीव-जंतु को धरती के , माता बनकर सहलाती है ,

सिंचित करती रस से जीवन , बनकर माली यह हरियाली।।


हितकामी जन इस जगती के, सब मिलकर चिंतन-मनन करें, 

हरियाली नष्ट न हो पाए , हम ऐसा कोई जतन करें ,

'ओंकार' तभी इस दुनिया में , सब ओर बढ़ेगी खुशहाली।।

✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार' , 1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला, दिल्ली रोड, मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) - 244103

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