"कथानक बहुत पुराना है।अच्छे लेखक को नए विषयों पर लिखने का जोखिम उठाना चाहिए। "कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे,रवि प्रकाश जी ने, सूर्यकांत जी की लघुकथा पर अपने विचार व्यक्त किए।
अन्य वरिष्ठ बुद्धिजीवियों ने भी लघुकथा की कमियों को, अपना पूरा किताबी ज्ञान दिखाते हुए, जोर शोर से उजागर किया। किसी ने कसावट की कमी बताई,तो किसी ने कालखंड दोष का हवाला दिया। किसी के हिसाब से कथा में,अनावश्यक लेखकीय प्रवेश था,किसी को वर्तनी की अशुद्धियां नजर आईं। मारक पंच का न होना तथा गलत शीर्षक भी चर्चा का विषय रहे।
सूर्यकांत जी नवोदित लेकिन प्रतिभावान रचनाकार थे। मूलतः कविता लिखा करते थे।पिछले छह मास से ही लघुकथा लिखना शुरू किया था। प्रतिष्ठित लघुकथाकारों की लघुकथाएं पढ़कर, निरंतर अपने आप में सुधार कर रहे थे।
आज अपनी लघुकथा पर हुई टिप्पणियों से उनका दिल टूट गया। वे भविष्य में,कोई लघुकथा, ना लिखने का निर्णय करने ही वाले थे, कि उनके कानों में,कार्यक्रम में बतौर श्रोता शामिल, कुछ महिलाओं की बातें सुनाई पड़ी।"इस कथा ने तो हमारी आंखे खोल दीं।आगे से हम,बेटा और बेटी में कोई भेद नहीं करेंगे।"
✍️ डॉ पुनीत कुमार, T 2/505 आकाश रेजीडेंसी, मुरादाबाद 244001, M 9837189600
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