तुमसा मुझे जहाँ में ........कोई नहीं दिखता
हर ख्वाहिश कर दी पूरी कारवां नहीं रुकता !
करने को पूरे मेरे सपने तुम रात भर जगे
हम सोये गहरी नींद में तुम सोचते रहे ।
उँगली पकड़कर सिर्फ चलना ही नहीं सिखाया
दे हथियार शिक्षा का मेरे विश्वास को बढ़ाया ।
देख देख कर हमको हर पल तुम जिये
करने को हमें काबिल क्या दर्द न सहे ।
बचपन का दुलार दे हमको शिक्षा का उपहार
विवाह की सौगात और विदाई पर आंसूओं को पी गए ।
पूँछना हाल चालजैसेतुम्हारीआदतबनगयाहै
आज हैं हम जो भी तुम्हारा कर्ज चढ़ गया है
राशि सिंह, मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
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