तीन लोगों का पुरस्कार के लिए चयन हुआ था ।एक का नाम खेलावन था। चयन समिति में उसके सगे चाचा बैठे थे। सभी रिश्तेदारों और खानदान-वालों का पूरा जोर था कि खिलावन ही पुरस्कृत होना चाहिए। खिलावन ने भी साफ साफ कह दिया था -"चाचा ! आज तुम चयन समिति में हो ,उसके बाद भी अगर मेरा पुरस्कार कटा तो समझ लो हमारी तुम्हारी रिश्तेदारी खत्म !"
तो खिलावन को तो इस कारण से पुरस्कार मिला । दुखीराम को पुरस्कार मिलने का मुख्य कारण यह है कि वह 3 - 4 साल से चयन समिति के सदस्यों की चमचागिरी करता रहा । चयन समितियाँ बदलती थीं, नए लोग आते थे , दुखीराम निरंतर परिणाम की चिंता किए बिना उन सब की सेवा में लगा रहता था । आखिर एक दिन सेवा के बदले मेवा मिली और चयन समिति के सदस्यों ने यह महसूस किया कि संसार में चयन का आधार समिति के सदस्यों की सेवा ही होना चाहिए । इसलिए दुखीराम का पुरस्कार पक्का हो गया।
तीसरा सदस्य जुगाड़ूराम था। उसने न जान - पहचान निकाली , न चमचागिरी की । सीधे दलाल को पकड़ा, रुपए दिए और काम करा लिया ।
अब यह चयन समिति के सदस्यों का काम रह गया कि वह इस बात की रिपोर्ट तैयार करें कि उन्होंने तीन व्यक्तियों का चयन किस आधार पर किया है ?
✍️रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451_
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