बुधवार, 7 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर की साहित्यकार रागिनी गर्ग की लघुकथा ----अंधविश्वास


प्रिया ने जैसे ही गिन्नी को छुआ परेशान  हो गयी ,वो गिन्नी को उठाकर  अपनी सास के पास ले जाकर बोली:- "माँ जी  गिन्नी को तेज बुखार के साथ -साथ पूरे शरीर पर लाल -लाल दाने निकले हैं। आप इसका ध्यान  रखिए मैं डाॅक्टर को बुलाती हूँ।"  

प्रिया की सास बोली:- "बहुरिया  पगलाये  गयी हो का ?गिन्नी कू माता निकली है, जामें डा. का करेगो?   जल को  लोटा भर के गिनिया के सिरहाने रखो,  आँगन से नीम तोड़ के लाओ बुहारा करो,, माता के नाम को जाप करो ,दो-तीन दिन  में  गिन्नी बिल्कुल सही है जायेगी।

परररररर माँजी .....

""पर वर कुछ न जो मैं कह रही हूँ वही सुन !डा. कू दिखावे से माता गुस्सा है के बच्ची कू अपने संगे ले जायेगी।""

प्रिया बिना मन के सास का बताया काम करती रही , 

दो दिन  बीत गये पर गिन्नी की हालत में कोई  सुधार नहीं  हुआ उलटे परिस्थिति बिगड़ती चली जा रही थी। रविन्द्र टूर से वापस घर आया गिन्नी की हालत देखकर उसने माँ की एक न सुनी और डा. को फोन कर दिया पर वही हुआ जिसका प्रिया और रविन्द्र  को डर था, 

डॉक्टर ने कहा:- "समय पर  इलाज न मिलने की वजह से गिन्नी कभी न जगने वाली गहरी नींद में  सो चुकी है।"

उधर दादी रोते हुए बड़बडा़ये जा रही थी,"हाय मेरी पोती! मना करी डाँक्टर कू मत बुलाओ पर काऊ ने मेरी एक न सुनी, मैया गुस्सा है गयी, बच्ची कू संग लिवा ले गई।।"

✍️रागिनी गर्ग ,रामपुर (यूपी)

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