गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार विवेक आहूजा की कहानी ----उपहार


आज अचानक बैसाखी लाल के दरवाजे की घंटी बजी तो ,बैसाखी लाल ने अपनी छोटी बेटी रजनी को आवाज लगाई..... "बेटा देखो दरवाजे पर कौन है" रजनी ने दरवाजा खोला तो सामने डाक बाबू खड़े थे,   उन्होंने कहा .....बेटा जाओ पापा को बुला लाओ उनका अमेरिका से एक पार्सल आया है । 

 अमेरिका का नाम सुनकर रजनी उछल पड़ी व भागकर अपने पापा के पास आई और बोली "पापा देखो रमेश भैया का पार्सल आया है ,डाक बाबू आपको बुला रहे हैं" बैसाखी लाल दौड़कर गेट पर पहुंचे और डाक बाबू से पार्सल रिसीव किया । 

बैसाखी लाल , उनकी पत्नी व बेटी रजनी बड़ी उत्सुकता से पार्सल को देख रहे थे ।  रजनी बोली "पापा इसे जल्दी से खोलो ,  देखो भैया ने इसमें क्या भेजा है"  बैसाखी लाल ने ड्राइंग रूम में आकर पार्सल खोला ,  तो सारे परिवार के लोग उसे देख हैरान रह गए,  रमेश ने पूरे परिवार के लिए बहुत से उपहार भेजे थे , साथ ही उसमें कुछ कागज भी रखे थे ।  बैसाखी लाल ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे अतः उन्होंने अपनी बेटी राखी और दामाद सुनील , जो कि उनके घर के पास ही रहते थे , उन्हें अपने घर बुलवा लिया । 

बैसाखी लाल ने सुनील से कहा "बेटा देखो यह कैसे कागज हैं, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा कि मेरे भतीजे डॉ रमेश ने इसमें क्या भेजा है"  सुनील ने सारे कागजों का गहराई से अध्ययन किया तो चेहरे पर मुस्कान लाते हुए बोला "पापा जी आपके भतीजे ने आपको तोहफे में अमेरिका से कार भेजी है" "फोर्ड कार" यह अमेरिका की सबसे महंगी गाड़ियों में से एक है , फोर्ड कार का नाम सुनते ही बैसाखी लाल धम से सोफे पर बैठ गए , उनकी आंखों से अश्रु की धार बह निकली ।  सुनील बैसाखी लाल के पास आया व  बोला .....पापा जी यह तो खुशी की बात है कि आपका भतीजा आपको कितनी इज्जत देता है और उसने आपको अमेरिका से गाड़ी भेजी है । आप खुश होने की बजाय रो रहे हैं क्या बात है । बैसाखी  लाल चुप रहे और अपना मुंह छुपा कर सोफे पर बैठ गये । सुनील बैसाखी  लाल के पैरों के पास आकर बैठ गया और भावुक होते हुए बोला "मैं आपका दामाद हूं ,लेकिन मैंने आपको हमेशा अपना पिता का ही दर्जा दिया है, अगर आप मुझे अपना बेटा समझते हैं तो मुझे सच सच बताएं क्या बात है"  बैसाखी लाल ने सुनील को पैरों के पास से उठाया और बोले मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगा कि मुझसे कितना बड़ा पाप हुआ है बैसाखी लाल ने कहना शुरू किया ....

हम लोग लुधियाना के पास एक गांव में रहते थे ,मेरे पिताजी रेलवे में एक फोर्थ क्लास कर्मचारी थे । पिताजी की अचानक मृत्यु के पश्चात रमेश के पिताजी ने मुझे अपने बेटे की तरह पाला और पिताजी की जगह मुझे रेलवे में फोर्थ क्लास नौकरी पर लगवा दिया । रेलवे में नौकरी करते करते , मैं दिल्ली आकर बस गया और आर्थिक रूप से भी संपन्न हो गया । लेकिन इसके विपरीत मेरे बड़े भाई साहब की गांव में एक छोटी सी हलवाई की दुकान थी ,जो ना के बराबर चलती थी उनकी आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी । लेकिन इस सबके बावजूद रमेश ने बहुत मेहनत की और दिल्ली के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने में सफल रहा । 

बैसाखी  लाल ने आगे बताना शुरू किया , भाई साहब रमेश को मेरे पास छोड़ गए क्योंकि वह हॉस्टल का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं थे ।  रमेश का कॉलेज हमारे घर से 3 किलोमीटर की दूरी पर था रहन-सहन के मामले में रमेश बिल्कुल सादा सुधा व्यक्तित्व वाला छात्र था । उसके पास सिर्फ दो ही जोड़े थे ,वह एक जोड़ा पहनता और एक धोता था । उधर बैसाखी  लाल का रहन सहन शाही था ,लेकिन उसने कभी रमेश की मदद करने का मन नहीं बनाया । एक दिन रमेश ने हिम्मत करके अपने चाचा बैसाखी लाल से कहा मेरा कॉलेज आपके घर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है और मुझे रोज पैदल जाना होता है । आपके घर साइकिल ऐसे ही पड़ी रहती है , अगर आप इजाजत दें तो मैं आपकी साइकिल ले जाया करू, चाचा जी ने बड़ी बेरुखी से रमेश को साइकिल के लिए मना कर दिया और कह दिया "मैं अपनी साइकिल किसी को नहीं देता" यह बात जब रमेश के दोस्तों को कॉलेज में पता चली तो सभी ने संयुक्त रूप से मदद कर रमेश का हॉस्टल में प्रवेश करा दिया । उसके पश्चात रमेश कॉलेज के हॉस्टल में ही रहने लगा और अपने चाचा जी से कभी कभार ही मिलने आया करता था।  5 वर्ष का कोर्स करने के पश्चात रमेश ने एक केरल की नर्स के साथ शादी कर ली और बाद में उसकी पत्नी की अमेरिका में नौकरी लग गई । अमेरिका में एक वर्षीय  कोर्स करने के पश्चात रमेश भी वहां पर नौकरी करने लगा । आज करीब आठ 10 वर्षों के पश्चात रमेश का यह "उपहार" हमें प्राप्त हुआ है । बैसाखी लाल अपनी बात को विराम देकर चुप हो गए । 

सभी लोग उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहे थे । माहौल एकदम शांत था ,  तभी फोन की घंटी बजी तो बैसाखी लाल ने फोन उठाया दूसरी ओर से आवाज आई "हेलो,  मैं रमेश बोल रहा हूं चाचा जी" रमेश की आवाज सुन बैसाखी लाल भावुक हो गए और उन्होंने रमेश से कहा "बेटा ,मैंने तेरे साथ बहुत बुरा किया है, फिर भी तूने मुझे याद रखा, मुझे माफ कर दे" 

रमेश ने चाचा जी से कहा "नहीं चाचा जी ,आप पुरानी बातों को दिल से ना लगाएं आप हमारे बड़े हैं , मैं आपको पिताजी के बराबर ही सम्मान देता हूं" कृपया करके मेरे द्वारा भेजा गया "उपहार" स्वीकार करें । यह कह रमेश ने फोन रख दिया ।  भतीजे रमेश से फोन पर बात करके  बैसाखी  लाल का मन हल्का हो गया, उन्होंने सुनील से कहा ......"बेटा चलो , एयरपोर्ट गाड़ी की डिलीवरी लेने चलना है" और वह दोनों एयरपोर्ट पर "उपहार" में आई फोर्ड गाड़ी की डिलीवरी लेने चले गए ।

✍️विवेक आहूजा, बिलारी, जिला मुरादाबाद 

@9410416986

Vivekahuja288@gmail.com

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