गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की लघुकथा ---- मां


राजू ने माँ के कंधे पर हाथ रखकर कहा "माँ !भूख लगी है।रोटी दो ना।माँ तुम सुनती क्यों नहीं ?"

     काफी देर हो गई बच्चे को कहते हुए, आखिर माँ ने कहा," जा पड़ोस से मांग ला--।"

     बच्चा गया और रोटी मांग लाया।"लो माँ तुम भी खा लो ।" 

      " नहीं बेटा।"

    " परन्तु माँ तुम खाओगी नहीं तो जियोगी कैसे ?"

      माँ बोली," बेटा!मैं तुझे देख कर ही जी लूंगी--तू रोटी तो खा मेरे लाल ।"

✍️ अशोक विश्नोई, मुरादाबाद

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