देखो - देखो मोटर आती ,
इधर उधर से धूल उड़ाती ।
पेट्रोल की बू फैलाती ,
बड़े वेग से दौड़ी जाती।
इसमें नहीं जुते हैं घोड़े,
बंधे नहीं बैल के जोड़े ।
इसको एक चलाती कल है ,
इसमें भरा तेल का बल है।
ड्राइवर साहब हॉक रहे हैं,
शीशे में से झांक रहे हैं।
देख किसी को आगे आते।
भों- भोंं करके उसे भगाते।
इसके आगे से हट जाओ ,
भागो - भागो प्राण बचाओ।
बीच सड़क में जो आओगे,
गिरकर घायल हो जाओगे
✍️ रंजना हरित, बिजनौर, उत्तर प्रदेश
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उछल - कूदकर हुई उमंगित,
नवल प्रभात की प्रथम किरण।
हँसती - गाती दौड़ लगाती,
छैल छबीली मृदुल पवन।
मुर्गा जागा उठकर भागा,
चढ़ छप्पर पर बांग लगाये।
जगे गाँव के लोग सभी,
अपने - अपने पथ पर धाये।
तोता बोला सुन - ओ मैना।
सैर सुबह की बहुत सुहानी।
आलस छोड़ निकल भी आओ,
फिर ढूंढेंगे दाना - पानी।
छुटकू फुदकू खनकू सारे,
अब राहों पर घूम रहे हैं।
खगकुल गाता वन्दनवारे,
अपनी मंजिल चूम रहे हैं।
कूक रही कोयलिया प्यारी,
मनभावन से सभी नज़ारे।
दस्तक देती घूम रही है,
सुबह सभी के द्वारे - द्वारे।।
✍️ नरेन्द्र सिंह नीहार, नई दिल्ली
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सबसे अच्छा होता पढ़ाना,
सबसे बुरा आपस मे लड़ाना।
घर मे जो भी आये अतिथि,
इज्ज़त से ही उसे बिठाना।
पहले उसको पानी पिलाना,
फिर मम्मी पापा को बुलाना।
मृदु भाषी बनकर बच्चो,
सबके दिल मे जगह बनाना।
कटु वचन न कहना किसी से,
जो रूठा है उसे मनाना।
नानी के घर भी जाना तो,
साथ मे बस्ता लेकर जाना।
खेल कूद भी बुरा नही है,
लेकिन अच्छा पढ़ना पढ़ाना।
✍️ कमाल ज़ैदी "वफ़ा"
प्रधानाचार्य,अम्बेडकर हाई स्कूल
सिरसी (संभल)9456031926
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कठिन समय है मत घबराओ।
हर पल आगे बढ़ते जाओ।।
रात नहीं ये टिकने वाली।
चाहे हो कितनी भी काली।
मायूसी को दूर भगाओ।।
हर पल आगे बढ़ते जाओ।।
गम की बदली छट जायेगी।
भोर सुहानी फिर आयेगी।
मन में ये विश्वास जगाओ।।
हर पल आगे बढ़ते जाओ।।
सुख दुःख है जीवन का हिस्सा।
यही बनेगा कल फिर किस्सा।।
रुक कर मत यूँ समय गवाँओ।।
हर पल आगे बढ़ते जाओ।।
चुनौतियों से तुम मत ड़रना।
साहस का दम हर पल भरना।
शैल चीर के राह बनाओ।।
हर पल आगे बढ़ते जाओ।।
कठिन समय है मत घबराओ।
हर पल आगे बढ़ते जाओ।।
✍️ डाॅ ममता सिंह, मुरादाबाद
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इन्द्र धनुष का रंग निराला!
इसका रूप बड़ा मतवाला!!
वर्षा रुकी बदरिया छाई
जब सूरज ने झलक दिखाई।
सूरज की विपरीत दिशा में,
यह न दिखेगा कभी निशा में,
अद्भुत दृश्य नजर एक आया।
सात रंगो ने जिसे बनाया।।
जादू जैसा कोई चलाएं,
कैसे इंद्रधनुष बन जाए ?
इंद्रदेव वर्षा करते हैं।
इस जग की पीड़ा हरते हैं।।
मेघों से जल बूंदे झड़तीं,
सूर्य किरण उन पर जब पड़तीं,
सातों रंग उभर तब आते।
मिलकर इंद्रधनुष बन जाते।।
दौड़ दौड़ बच्चों की टोली,
इसे निहारे करे ठिठोली।
बैंगनी, नीला फिर आसमानी।
देखो अम्मा ! देखो नानी !
हरा, पीला, नारंगी , लाल।
सात रंगों ने किया कमाल।।
सब मिल अद्भुत छटा दिखाते
सब बच्चों के मन को भाते
बच्चों बात हमारी मानो !
इसमें छुपा रहस्य पहिचानो !
मिलजुल कर जब रहते सारे,
रंग निखरते कितने प्यारे?
तुम सब भी मिल जुल कर रहना !
इंद्रधनुष सम जग से कहना !
अगणित जन जन भिन्न प्रकार,
मिल कर बनता है संसार।।
अलग अलग हम भले अनेक,
सब मिल कर बन जायें एक !
इससे कितना सुख पाओगे !
सबके प्यारे बन जाओगे !!
✍️ अशोक विद्रोही, 412 प्रकाश नगर मुरादाबाद, मोबाइल 8218825541
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किसने है ये स्कूल बनाए
कोई हमको जरा बताए
टीचर जी से डर लगता है
रोज रोज पढ़ना पड़ता है
होमवर्क लगता है दुश्मन
मम्मी से करवाता अनबन
दोस्त यहां बस मिलते प्यारे
शोर मचाते मिल कर सारे
टन टन टन जब घंटी बजती
लगे जेल से छुट्टी मिलती
कितना प्यारा होता बचपन
नहीं अगर पढ़ने का बंधन
✍️ डॉ अर्चना गुप्ता, मुरादाबाद
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नील गगन के प्यारे तारे।
कितने सुंदर कितने न्यारे ।
आसमान में ऊँचे ऐसे ।
चमके हो हीरों के जैसे ।
चाँद तुम्हारे पापा शायद,
साथ तुम्हारे आते हैं।
शैतानी न करो कोई तुम,
हर पल यह समझाते हैं ।
कितने भाई तुम्हारे हैं ये,
एक ही जैसे दिखते हो ।
सोच-सोच हैरानी होती।
नभ में कैसे टिकते हो ।
क्या तुम भी विद्यालय जाते?,
किस कक्षा में पढ़ते हो।
हम बच्चों के जैसे तुम भी
क्या आपस में लड़ते हो ।
ओ! तारे चमकीलापन यह तुमने कैसे पाया है।
सच-सच बतलाना तुम भैया किसने तुम्हें बनाया है?
✍️ -दीपक गोस्वामी 'चिराग', बहजोई (सम्भल) उ.प्र. मो. 9548812618
ईमेल
deepakchirag.goswami@gmailL.com
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मुख की शोभा होते दाँत
रोज सफाई करो तुम इनकी
कभी न खाओगे तुम मात।।
जब आये चेहरे पर मुस्कान
दाँत प्रकट होते श्रीमान।
सुंदर मुख मोती से चमके
दाँतो की शोभा यूँ दमके ॥
खाने का आता है स्वाद
मुहँ में अगर हो दाँत जनाब।
नही लगाना कभी औजार
हो जाते है दाँत बेकार ॥
सुबह सवेरे उठकर
मंझन दाँत में नित कर।
रखोगे दाँतो की सफ़ाई
करे दाँत तुमसे वफाई ॥
✍️ नीमा शर्मा हंसमुख, नजीबाबाद बिजनौर
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ओ चमकीले से प्यारे तारे,
लगते क्याें तुम इतने प्यारे |
आसमान में चमकाे ऐसे ,
हीराें का सरदार हो जैसे |
मामा चंदा साथ तुम्हारे,
हरदम हँसकर रहते हैं |
कभी इधर , कभी उधर,
बस दोडाे़ तुमसे कहते हैं |
कभी स्कूल भी जाते हो क्या?
दोस्तों संग गप्प लड़ाते हाे क्या?
मित्राें मंडली संग घूम घूमकर ,
कभी चाट पकौड़ी खाते हाे क्या |
घर पर मम्मी रोज तुम्हारी,
तुमकाे भी समझाती होगी |
ज्यादा ऊँचे पर मत जाना,
बड़ी मुश्किल व परेशानी होगी |
बोलाे इतने ऊँचे आसमान में ,
कैसे तुम जी भर दौड़ लगाते हाे |
क्याें नही फिसलतें पैर तुम्हारे,
क्या जादू टोना कराते हो ?
✍🏻सीमा रानी, पुष्कर नगर , अमरोहा
सम्पर्क सूत्र 7536800712
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कहा भैंस ने गैया मुझसे,
बहस कभी मत करना,
खाकर पन्नी, कूड़ा कचरा,
पेट यहाँ तू भरना।
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शुद्ध नीर,भूसा, चोकर तो,
नहीं भाग्य में तेरे,
चना,बिनोला,खलचोकरतो,
बदा भाग्य में मेरे,
दूर खड़ी ऐसे खाने की,
सिर्फ सोचती रहना।
मेरा मालिक मेरे तन को,
शीशे सा चमकाता,
दुहकर दूध तुझे गौपालक,
घरसे दूर भगाता,
तेरे मालिक को आता है,
सिर्फ दिखावा करना।
मेरा मालिक मुझे नित्य ही,
गुड़ और तेल पिलाता,
तेरा मालिक तुझको केवल,
सूखी घास खिलाता,
उसको नहींअखरता कतई,
तेरा जीना मरना।
बहन बहुत मत शेखी मारो,
थोड़ा चुपभी जाओ,
मेरे लाख गुणों का भी तो,
वर्णन सुनती जाओ,
जो बोलूँगी सच बोलूँगी,
झूठ नहीं कुछ कहना।
मेरे रोम - रोम में रहता,
सब देवों का वास,
मेरी पूजा से होता जाता,
सबका तन-मन साफ,
सच कहती हूँ प्यारे बच्चो,
मानो मेरा कहना।
व्यर्थ बहस करने से अच्छा,
होता है चुप रहना।
✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी", मुरादाबाद/उ,प्र, मोबाइल फोन नम्बर 9719275453
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नंदू गोपी और गोपाल
गए घूमने तीनों भोपाल ।
नानी नाना दादा दादी
मम्मी पापा मामा मामी ।
संग गया सारा परिवार
झूमे नाचें मौज उड़ाएं
ताल तलैया देखें तीनों
झूमें गाएं नहाएं तीनों ।
फिरउपवन की सैर करी
सूरत आंखों में भर ली ।
हाथ पकड़े नाना नानी
नहीं करने देते सैतानी ।
दादी दादा ज्ञान बढ़ाएं
सब चीजों को समझाएं ।
संग खाएं चाय पकौड़ी
खूब मचाएं धमा चौकड़ी ।
हंसते गाते रास्ते कट जाएं
आकर पढ़ाई में लग जाएं ।
✍️ राशि सिंह, मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
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वृक्ष मनोहर प्यारे प्यारे
कुदरत की आँखों के तारे
दानी बनकर खड़े हुए हैं
शांत भाव सारे के सारे ।
वृक्ष मनोहर प्यारे प्यारे ।।
पशु पक्षी और कीट पतंगे
नभ जल थल के सब ही प्राणी
जीव जीव इन पर निर्भर है
दाता जग के सबसे न्यारे ।
वृक्ष मनोहर प्यारे प्यारे ।।
बने दधीचि से महा त्यागी
अंग अंग करते न्यौछावर ,
मूल फूल फल पत्र से लेकर
सबकुछ इस जगती पर वारे ।
वृक्ष मनोहर प्यारे प्यारे ।
✍️ डॉ रीता सिंह, आशियाना , मुरादाबाद
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मां अब वो दिन- कब आयेंगे,
मोबाइल से- छुटकारा कब पायेंगे।
आंखें अब- दुख रही हैं इतनी,
मां स्कूल फिर हम- कब जायेंगे।
अब मनाह नहीं- तुम करती हो,
मोबाइल लिये -पीछे चलती हो।
पढ़ाई करलो-जिद्द करती हो,
स्कूल के वैन- बस कब आयेंगे,
मां स्कूल अब-कब हम जायेंगे।
जी करता है हाथों-से कुछ करलूं,
अपने घर को- पेंटिंग से भर दूं।
वीणा सरस्वती- वादन से स्वर लूं।
दिन पुराने कब- लौट कर आएंगे।
शीशम-पीपल बरगद के पेड़ लगाकर,
आक्सीजन बने,रखूं पर्यावरण बचाकर।
बर्बाद न करूं- पानी मैं बहाकर।
महामारी के दिन-स्वतः लौट जाएंगे,
मां फिर तो स्कूल- खुल जायेंगे,
लोक डाउन हमेशा- हट जायेंगे।
पहले दिन मां- फिर आएंगे- आयेंगे।
✍️ सुदेश आर्य-"गौड़ ग्रेशियस", मुरादाबाद
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बच्चे सच्चे कल का भविष्य
बनेंगे अच्छे नागरिक
हमें उनको सही संस्कार देने होंगे
ये कर लो सब प्रण रे भाई
ये कर लो सब प्रण।।
कैसे विपत्ति का करेगें सामना
कैसे प्रकृति को रखे सुरक्षित
राम चरित्र उनको सुनाए
कृष्ण का गीता पाठ पढाए
हमारी संस्कृति है इतनी प्यारी
विदेशों ने भी इस को अपनाया
ये सब उनको बताओ रे भाई
ये सब उनको बताओ।।
माता-पिता की सेवा करो
भाई बहनों संग प्यार से रहो
नाना नानी दादा दादी का रखो ख्याल
ऐसे बनो देश के तुम सुंदर लाल
ये सब उनको सिखाओ रे भाई
ये सब उनको सिखाओ।।
✍️ चन्द्रकला भागीरथी
धामपुर जिला बिजनौर
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बाल कथा ----
आज काफी लंबे समय बाद जंगल के राजा शेर🐅ने आपसी भाईचारे को बनाए रखने के लिए सभी जीव जंतुओं की जंगल में एक सभा का आयोजन किया। सर्वप्रथम गधा कुमार जी🐴 ने खड़े होकर अपनी समस्या रखने के लिए महाराज से गुजारिश की जो कि तुरंत स्वीकार कर ली गई ।तत्पश्चात गधे कुमार जी 🐴ने कहना शुरू किया "महाराज मुझे अपने जीव जंतु समुदाय से कोई शिकायत नहीं है परंतु मानव जाति ने मेरा जीना मुश्किल करा हुआ है" आगे बताते हुए गधा कुमार जी बोले "मानव👨💼 दिन रात मुझे सामान ढोने पर लगाए रहता है और एक पल भी मुझे आराम करने नहीं देता" ऊपर से मानव जाति ने मेरा मजाक उड़ाने के लिए कहावते तक बना रखी है, जैसे गधे के सिर पर सींग, अबे गधे , ओए गधे आदि इसके बाद में गधे ने रूआंसु होकर कहा सरकार इतनी मेहनत करने के बाद भी मानव समाज में मेरी कोई इज्जत नहीं है। अभी गधे जी🐴 की बात पूरी भी ना हो पाई थी कि बैल 🐂 ने भी सभा में शोर मचा दिया "महाराज में भी कुछ कहना चाहता हूं" महाराज ने कहा बोलो आप भी अपनी समस्या बेहिचक होकर सभा में रख सकते हैं ।बैल जी 🐂बोले "महाराज मेरी भी शिकायत मानव जाति से ही है" उन्होंने बताया कि "मानव अपनी खेती में मेरा खूब इस्तेमाल करता है और इनका हल जोतते जोतते मेरी टांग टूट जाती है व मुझे वह जरा सा भी आराम नहीं करने देता, इतना ही नहीं जब मेरी उम्र हो जाती है तो वह मुझे कसाई को बेच देता है" बैल ने आगे कहा "महाराज आप ही बताएं क्या मुझे आराम करने का कोई हक नहीं"
बैल की बात समाप्त होते ही तोता श्री 🦜, कबूतर श्री 🕊आदि पक्षी भी अपनी शिकायत सभा में रखने को आतुर हो गए ।सभी जंतुओं ने उन्हें समझाया जल्दी मत करो तुम्हें भी अपनी शिकायत करने का पूरा मौका दिया जाएगा ।शेर महाराज 🐅ने पक्षी समुदाय से अपना पक्ष रखने को कहा तो तोता श्री 🦜फुदक कर सभा के मध्य आ गए और तीखी आवाज में बोले "महाराज मानव ने हमें तो बिल्कुल गुलाम ही बना रखा है और हमारा जीवन सालों साल पिंजरे में कैद होकर ही रह जाता और पिंजरे में ही हम लोग मर जाते हैं, महाराज हमें पिंजरे की गुलामी से आजादी दिलाई जाए" महाराज ने पक्षी समुदाय की बात को बड़े ध्यान से सुनी , कुछ पक्षीयो ने अपने भक्षण की शिकायत भी की , भक्षण की बात सुन मुर्गा 🐓और बकरे🐐 ने शोर मचा दिया जोर से सभा में दहाड़े मार-मार कर रोने लगे , शेर महाराज ने उन्हें बमुश्किल चुप कराया और उनसे रोने का कारण पूछा तो वह रोते हुए बोले "महाराज मानव से हमारी रक्षा करें इन लोगों ने तो हमारा जीवन दूभर कर दिया है इनकी कोई दावत होती है वह हमारी जान लेकर ही जाती है" और तो और हम लोग तो अपनी पूरी जिंदगी भी नहीं कर पाते इससे पहले ही मानव👨💼 हमारा भक्षण कर लेता है सब की समस्याएं सुन महाराज शेर 🐅ने लंबी सांस लेते हुए कहा आप सब की समस्याएं काफी गंभीर हैं । और इन सब के निस्तारण की भी अति आवश्यकता है। पर मानव को कौन समझाएगा महाराज ने सबसे मानव के सुधार के लिए अपने सुझाव रखने को कहा । करीब करीब सभी छोटे-बड़े जीव-जंतुओं ने एक सुर में महाराज से कहा "अब बात समझाने से आगे निकल चुकी है" अगर हम मानव को समझाने जाएंगे तो वह हम लोगों को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। अतः अब मानव 👨💼को सबक सिखाने का वक्त आ गया और सभी जीव जंतु समुदाय ने सर्वसम्मति से मानव जाति के विरुद्ध जंग का प्रस्ताव पास कर दिया। महाराज ने सभी को समझाया की जंग से कोई फायदा नहीं आपस में ही बैठ कर सुलाह कर लेते हैं। परंतु कोई भी जीव मानने को तैयार नहीं हुआ । सभी ने महाराज 🐅से आग्रह किया कि मानव को एक बार सबक सिखाना अत्यंत आवश्यक है और जंग की पूरी रूपरेखा बनाने के लिए महाराज जी को नियुक्त कर दिया । सभी जीव जंतुओं की मर्जी के आगे महाराज जी की एक न चली और उन्होंने जीव जंतुओं की जंग में पूरा साथ देने का वादा किया व अगले दिन सब को सभा स्थल पर पुनः बुलाया ।
अगले दिन पूरा जीव जंतु समुदाय सभा स्थल पर एकत्र हुआ और महाराज शेर से जंग की तैयारी का हाल पूछा तो महाराज जी ने कहा मैंने मानव को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई है। और इस योजना में "कोरोना विषाणु" बेटा हमारी मदद करेगा सभी जीव जंतुओं ने महाराज से पूछा यह कैसे संभव है ।कोरोना तो बहुत छोटा है और नंगी आंखों से हम इसे देख भी नहीं सकते फिर यह हमारी मदद किस प्रकार कर सकेगा ।महाराज ने कहा कोरोना ही हमारी मदद कर सकता है और मानव को अच्छी तरह सबक सिखा सकता है ।उन्होंने करोना बेटा को बुलाया और उसे आदेश दिया कि पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में किसी खाद पदार्थ में मिलकर अपना दुष्प्रभाव दिखाना शुरू करो वह एक से दूसरे दूसरे से तीसरे फिर हजारों लाखों करोड़ों लोगों में अपना दुष्प्रभाव पृथ्वी के सभी देशों में फैला दो। महाराज से आज्ञा लेकर कोरोना विषाणु ने पूर्व से पश्चिम तक पूरी पृथ्वी पर अपना दुष्प्रभाव चलाना शुरु कर दिया। धीरे धीरे दुष्प्रभाव से हजारों लाखों फिर करोड़ों लोग प्रभावित होने लगे। लाखों की संख्या में मानव मरने लगे। सभी जीव जंतुओं को मानव द्वारा अपने ऊपर किए गए अत्याचार का बदला मिल गया था और सब एकत्र होकर महाराज के पास आए व बोले "महाराज मानव जाति को अब काफी सबक मिल चुका है ,अब आप कोरोना को वापसी का आदेश दें"
महाराज शेर ने तुरंत कोरोना को बुलवाया और उससे मानव जाति पर उसके प्रभाव की रिपोर्ट मांगी। कोरोना विषाणु ने सीना चौड़ा कर महाराज से कहा कि "मै आपको अभी अपने प्रभाव की छमाही रिपोर्ट देता हूं" यह कहकर करोना ने बताना शुरू किया "मानव मेरे प्रभाव से मुंह पर कपड़ा बांधकर घूमता है , मदिरा जो पीने की वस्तु है उसे मेरे प्रभाव को कम करने के लिए हाथों में लगा कर घूम रहा है, इसके अलावा सबसे मजेदार बात यह है कि मानव एक दूसरे से दूर दूर होकर बैठता है और दूर दूर होकर ही घूम रहा है" यह कहकर कोरोना ने एक जबरदस्त ठहाका लगाया सभी जीव जंतु छमाही रिपोर्ट सुनकर अति प्रसन्न हुए ,तत्पश्चात सभी जीव जंतुओं ने महाराज से कहा अब बहुत हुआ मानव को सबक मिल चुका है आप कोरोना से कहे कि वह अपने प्रभाव को खत्म करें और शांत हो जाए महाराज ने कोरोना को तुरंत आदेश दिया कि वह अपना बोरिया बिस्तर समेट कर पूरे विश्व से रवाना हो जाए । किंतु करोना तो घमंड में चूर हो चुका था उसने महाराज की बात को मानने से साफ इंकार कर दिया और बोला "आप सभी जीव जंतुओं में मैं सबसे ताकतवर हूं ,जो काम आप सब मिलकर नहीं कर सके वह मैंने अकेले कर दिखाया लिहाजा अब तो जब मेरा मन करेगा तभी मैं वापसी करूंगा" यह सुन सभी जीव जंतु बहुत गुस्सा हुए और उन्होंने कोरोना को सभा से धक्के मार कर अपनी जमात से बाहर कर दिया।
कोरोना की इस हरकत पर सभी जीव जंतु बहुत दुखी थे और महाराज शेर से उन्होंने कहा अब इस मुसीबत से मानव को निजात दिलाने के लिए कुछ युक्ति करें महाराज ने कहा "देखो मैं कुछ करता हूं" उन्होंने सबसे कहा "पृथ्वी पर भारतवर्ष के पीएम बहुत अच्छे व्यक्ति हैं मैं उन्हें अपने पत्रवाहक कबूतर को भेजकर खबर करता हूं" कि कैसे जीव-जंतुओं की नासमझी के कारण यह समस्या खड़ी हो गई है व करोना बागी हो गया है।महाराज ने आगे लिखा "अब हम लोगों ने करोना को अपनी जमात से भी बाहर कर दिया है अतः आप जो कठोर से कठोर कार्यवाही करोना के खिलाफ करना चाहे हमारा आपको पूर्ण समर्थन रहेगा" यह कहकर उन्होंने कबूतर जी को पत्र देकर रवाना किया ।
तत्पश्चात भारतवर्ष के पीएम ने सभी जीव जंतुओं का शुक्रिया अदा करा व अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों की पूरी टीम को करोना पर कार्यवाही के लिए लगा दिया और जल्द ही पूरा विश्व कोरोना के प्रभाव से मुक्त हो गया। इस प्रकार सभी जीव जंतुओं ने महाराज शेर के सम्मुख अपनी गलती स्वीकारी , अब उन्हे अच्छे से समझ आ चुका था कि दुनिया को प्यार से ही जीता जा सकता है ना कि बदले से, और सभी ने महाराज शेर के समक्ष प्रण किया कि अब वह मानव जाति के साथ प्रेम से ही जीवन व्यतीत करेंगे ।
✍️ विवेक आहूजा, बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com
@9410416986
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