शुक्रवार, 4 जून 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ श्वेता पूठिया की लघुकथा ---पहचान


समाज में महिलाओं को जागरूक करने की मुहिम लता  ने शुरू कर रखी थी।शहर की संस्थाओं के बाद उसने गांव का रुख किया।एक गांव में वह सभा में आयी सभी स्त्रियों से उनके नाम पूछ रही थी।घूघंट निकाले जब एक नवयुवती का नम्बर आया तो वह चुपचाप रही।बहुत कहने के बाद वह खडी़ हुई।लता ने बडे प्यार से पूछा,"आप अपना नाम बताओ, हम अपने रिपोर्ट में लिखेगे"।वह बोली,"मेरा नाम  मुझे पता नहीं।सब यह सुनकर हँस पडे़ लता ने समझाया ",जिस नाम से सब आपको बुलाते हैं वह नाम बतायें"।

वह बोली",हम सच कह रहे हैं हमें अपना नाम पता करने के लिए अपने घर जाना होगा।बाबू से पता करके बतायेंगे।बचपन में सब रामुआ की लड़की कहते थे। दादी कलमुँही कहती थी।फिर ब्याह हो गया तो कलुआ की बहू के नाम से सब बुलाते थे।जब से किसना का जनम हुआ तो सभी किसना की अम्मा कहते हैं।यही हैं हमारे नाम ।बापू ने जो नाम दिया होगा हमें याद नहीं ।

उसकी बात सुनकर लता निरुत्तर रह गयी।

✍️ डा.श्वेता पूठिया, मुरादाबाद

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