गुरुवार, 9 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार प्रीति हुंकार की लघुकथा ------सड़क ने कहा


अमन एक बहुत ही अनुशासन प्रिय युवक था । लॉक डाउन खुलने के  कुछ ही दिन के बाद अमन को फिर घर में ऊब सी लगी ।मां से मार्केट जाने की बात कहकर ,उसने कानों में मोबाइल की  म्यूजिक लीड लगाई और बाइक से निकला ।अम्मा ने किचिन से आवाज दी कि जरा धीरे चलाना बाबू । सड़कें खाली है  ,लोग सर्राटे से चला रहे हैं वाहन।" वह आज किसी और ही धुन में रमा हुआ था। हैलमेट भी नही पहन सका ।आगे चौराहा था ।दो चार ही वाहन कभी कभी दिख जाते थे ।  दो माह से बाइक को हाथ नही लगाया था ।आज वह उस कमी को पूरा करना चाहता था । अचानक अपनी शर्ट के बटन खोलकर ,उसने बाइक को तेज स्पीड में हवा में लहराया ,फिर तेज स्पीड में किया और चौराहे की और नब्बे डिग्री पर घुमाया लेकिन यह क्या .........सामने से आती कार उसको सड़क के किनारे फेंक कर वहां कब गायब हो गई ,वह देख भी न सका ।नाक ,माथा दो हाथ सड़क से रगड़ गए और खून बहने लगा । आसपास कोई नही दिखा तो अमन खुद ही सरक कर एक पेड़ की छाया में बैठ गया ।आंखें नही खुल रही थी ।मूर्छा उसे घेरने लगी । अचानक उसे लगा ,"किसी ने उसके सिर पर हाथ रखकर सहलाया । फिर कुछ मंद स्वर उसके कर्ण विवर में प्रवेश पाने लगा ।तुम मानव !कब अनुशासन में रहना सीखोगे ?कब नियमों को मानोगे ? तुम्हारी अनुशासन हीनता और पाशविक प्रवृति के कारण ही हजारों दुर्घटनाओं को मैं अपने छाती पर सहती हूँ । कभी खून से सनती हूँ, तो कभी चीखों और कराहट से बेसुध होती हूँ।बेजुबान पशु दुर्घटना के शिकार होते हैं । कुछ ही मनुष्यों के कुकृत्यों का परिणाम पूरे मानव समुदाय को भोगना पड़ रहा है । " फिर जब आँखें खुलीं तो वह घर में बिस्तर पर था । बेसुध अवस्था में उसे कौन लाया वह नही जानता था पर बेसुध अवस्था में उसके कान में जो सड़क ने कहा ,वह अब भी उसके कान में गूंज रहा था ।

डॉ प्रीति हुँकार
मुरादाबाद

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