बुधवार, 29 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की कहानी -----'मजाक '


​       वह बहुत देर से अपनी स्टडी चेयर पर बैठा टेबल लैम्प पर बार बार आते औरफिर लौट जाते पतंगे को देख रहा था उसको नहीं पता की इसको पतंगा कहते हैं क्योंकिउसनेकभी इस शब्द का अर्थ जानने की चेष्टा ही नहीं की क्योंकि आजकल के बच्चों को वैसे भी एक ही बर्ड याद रहता है 'इन्सेक्ट 'उनके पास समय ही नहीं अपने इर्द गिर्द घूमती दुनियां और प्राणियों का निरीक्षण करने की जानने और समझने .
​बचपन से ही पेरेंट्स द्वारा या फिर स्कूल टीचर द्वारा उनकी कैटेगिरी निश्चित कर दी जाती है .
​टेलेंटेड ,मल्टीटेलेंटेड या फिर एवरेज वो उनके हुनरपर ध्यान न देकर सिर्फ स्कूल से प्राप्त प्राप्तांकों से निर्धारित किया जाता है .
​निशानी कई दिनों से महसूस कर रही थी की उसका बेटा रक्षक कई दिनों से उदास सा है .
​बिलकुल खामोश सा हो गया है .यह बड़ी बात है की उसको ऐसा एहसास हुआ की उसके बेटे के साथ कोई समस्या है ...वह उससे खुद से या फिर परिवार से कुछ छिपा रहा है नहीं तो आजकल सब अपनी अपनी वव्यस्ताओं में इतने व्यस्त हैं की अपने बच्चों के लिए भी समय नहीं है .
​हमेशा मुस्कराता ररक्षक एकदम शांत सा हो गया गुमशुदा सा .
​जब भी निशानी कुछ पूछने की कोशिश करती वह चिढ जाता .
​"मम्मी प्लीज मुझे अकेला छोड़ दीजिये I"
​निशानी को लगता बोर्ड है इस बार इसलिए पढ़ाई का दबाब ज्यादा है इसलिए वह चुप हो जाती .
​"बेटा स्टडी में कोई प्रॉब्लम हो तो ट्यूशन वगैरह ले लो ...एग्जाम पास हैं और तुम कुछ पढ़ते ही नहीं हमेशा परेशान से रहते
​हो I"
​निशानी ने बेटे का हाथ अपने हाथ में लेकर प्यार से कहा .लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चिढ सा गया यह देखकर निशानी फिर से परेशान हो गई .
​रक्षक का इतना रूखा व्यवहार निशानी को भीतर ही भीतर खाये जा रहा था .Iइतना खुशदिल लड़का कैसा मुरझा सा गया है .
​कितने सपने देखे हैं उसने और रक्षक के पापा ने बेटे को लेकर सब धुंधलाते से प्रतीत होते हैं .
​माँ अपने बच्चे की परेशानी को एकदम भांप जाती है ऐसे में निशानी कोई अपवाद नहीं थी .
​कुछ महीनों से उसने नोट जरूर किया था की जब भी रक्षक का फोन आता वह उठकर बाहर चला जाता बात करने .नहीं तो पहले ऐसा नहीं था अक्सर उसके फ़िरेन्ड्स का फोन आता तो वह अपने मम्मी पापा के सामने ही बात करता रहता .
​धीरे धीरे उसके फोन आने बंद से हो गए थे .चूंकि वह क्लास का सबसे होशियार लड़का था ऐसे में उसके फ़िरेन्ड्स उससे कई टॉपिक्स सोल्व करने के लिए कॉल करते रहते थे .
​निशानी बैठी कोई बुक पढ़ रही थथी और रक्षक के पापा न्यूज पेपर रक्षक उनके पास आया और कहने लगा .
​"मम्मी मुझे इस बार एग्जाम नहीं देना "
​"लेकिन क्यों ?"मम्मी पापा एक साथ आश्चर्य से बोले .
​"बस मेरा मन नहीं I"
​"लेकिन कोई तो वजह होगी ?"इस बार पापा बोले .
​"मैं कुछ नहीं कर सकता ..."मैं बेकार हूँ ..."
​कहते हुए रक्षक फफक कर रो पड़ा निशानी की भी आँखें भर आईं .
​"बेटा बताओ बेटा बात क्या है तभी तो हम सबको पता चलेगा तुम्हारी हैल्प करेंगे I"Iइस बार पापा बोलै .
​"पापा वो स्नेहा है न "
​"तुम्हारी दोस्त ?"
​"जी पापा जी ...उसने मुझे धोखा ....I"कहते हुए रक्षक रो पड़ा .एक पल के लिए मम्मी पापा सन्न रह गए की उनका बीटा कितने बड़े दर्द से गुजर रहा था और उनको पता भी नहीं .
​यह उम्र का पड़ाव ही ऐसा होता है किशोरावस्था जहां बच्चे विपरीत लिंग की तरफ आकर्षित होते हैं और उस आकर्षण को प्रेम समझ बैठते हैं .यह बहुत ही नाजुक दौर होता है उम्र का .
​"पूरी बात बताओ  I"निशानी ने स्नेह से उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए कहा तो रक्षक थोड़ा शांत हुआ .
​"मम्मी वो मुझसे कहती थी की वह मुझे बहुत चाहती है क्योंकि उसके पेरेंट्स का आपसी रिश्ता अच्छा नहीं .घर में क्लेश रहता है अगर मैंने उसका साथ नहीं दिया तो वह सूइसाइड कर लेगी Iऔर इस तरह से मैं स्टडी से अपना ध्यान हटाकर हमेशा उसी के बारे में सोचता रहता ...लेकिन !"
​"लेकिन क्या ?"
​"लेकिन अब कुछ दिनों से उसने मुझसे बात करनी बंद कर दी और फिर एक दिन उसने ममुझसे कहा की उसने अपने एक दोस्त से मुझे टॉप न कआने देने की क्लास में शर्त लगाईं थी I"रक्षक ने भर्राये गगले से कहा .सुनकर निशानी और उसके पापा सन्न रह गए .
​"वो लड़की तुम्हारी दोस्ती के काबी ही नहीं थी बेटा .तुम उसको लेकर परेशान क्यों हो जिसने तुम्हारे इमोशंस के साथ खिलबाड़ किया तुम्हारा मजाक बनाया ?"निशानी ने बेटे को समझाते हुए कहा .अब रक्षक थोड़ा और शांत हुआ .
​उसके पैरेंट्स ने उस पर और अधिक ध्यान देना और दोस्ताना व्यवहार करना बढ़ा दिया कुछ हीदिनों में रक्षक शांत हो गया .
​वह एग्जाम में बैठा और अच्छे से पढ़ाई की .
​रिजल्ट बाले दिन टॉप पर उस लड़की का फोटो देखकर वह मुस्करा दिया क्योंकि उसकी दोस्ती सफल जो हो गई थी और उस झूठी लड़की का हश्र वह खुद था .
​सच्ची दोस्ती बस दोस्त का भला चाहती है और कुछ नहीं हाँ आज भी शायद उसके मम्मी पापा के मन में उस लड़की के लिए कड़बाहट हो और शायद पूरी जिंदगी रहे .


​राशि सिंह
​मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश








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