बुधवार, 15 जुलाई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की लघुकथा----- मृतक आश्रित

   धीरे-धीरे यह खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई और देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई हो गई.... हरिओम के पिता को रात को बैठक पर बाहर सोते हुए किसी ने गोली मार  दी !   
     ....शोर मच गया मास्टर को गोली मारी ! पुलिस  भी आ गई हरिओम ने कहा" हमारी तो किसी से दुश्मनी भी  नहीं  है !!"
  पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार भी हो गया गांव में तरह-तरह की बातें हो रही थी....
  ....... ,,अरे हरिओम ने खुद अपने पिता को गोली मारी,,...,,बस अब सरकारी नौकरी मिल जाएगी ‌,,  पुलिस जांच उसके चाचा ने दरोगा होने के कारण.. सब जुगाड़ करवा दिया....
       कुछ दिन बाद ही तो रिटायरमेंट था एक महीना मात्र... 6 महीने भी नहीं बीते... धूमधाम से शादी हो गई... आजकल पिता के स्थान पर नौकरी पर जा रहा है .

अशोक विद्रोही
 82 188 25 541
 412 प्रकाश नगर मुरादाबाद

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