बुधवार, 22 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ श्वेता पूठिया की लघुकथा ------ लाभ


      रात की तेज बारिश और तूफान के बाद अधिकतर  किसान डूबी फसलो को देखकर मातम मना रहे थे।दूसरी ओर किसना निर्विकार भाव से बैठा बीडी फूंक रहा था।सरकारी आदेश से जब जमीन मिली तो सब बहुत खुश थे।पट्टे के कागज जब बी डी ओ ने उनको दिये तो उनके पाँव जमीन पर न पडते थे।।जब लेखपाल ने आकर चक नपवाकर उसकी जमीन बतायी तो किसना के पैरो के नीचे से जमीन निकल गयी क्योकि उसके हिस्से मे बंजर पत्थर भरा टुकडा आया था।वह भारी मन से घर आया।कुछ दिन बाद बीडीओ साब ने आकर बताया कि जिन को जमीन मिली है उनको सरकार फ्री मे खाद बीज देगी ।पट्टे के कागज दिखाकर रजिस्टर मे नाम लिखवा कर ले जाना।किसना हर साल खाद  बीज लाता।बाजार मे बेचकर अपना जुगाड़ करता था।अपनी फसल की लाभहानि चर्चा करते समय वे उसका उपहास उडाते।वह केवल अपने लाभ को देखता क्योंकि न उसे खेत मे मेहनत करनी पडती न नुकसान की चिंता।वह बंजर जमीन उसके लिए केवल लाभ ही थी।

डा.श्वेता पूठिया
मुरादाबाद

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